पांच साल बाद कीनन और रुबेन को मिला न्याय,चारों दोषियों को उम्रकैद
मुंबई की विशेष अदालत ने एक दोहरे हत्याकांड में चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। मुंबई की विशेष अदालत ने एक दोहरे हत्याकांड में चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। करीब पांच वर्ष पहले इन चारों ने उन दो युवकों कीनन संतोष (24) एवं रुबेन फर्नांडिस (29) को सरेआम चाकुओं से गोद दिया था, जिन्होंने इनकी छेड़छाड़ से अपनी महिला मित्रों को बचाने की कोशिश की थी।
विशेष महिला अदालत की जज वृषाली जोशी ने आज चारों दोषियों को सजा सुनाते हुए कहा कि इन्हें अपनी बाकी उम्र जेल में गुजारनी होगी। उन्होंने इस कांड के चारों आरोपियों – जीतेंद्र राणा, सुनील बोध, सतीश दुल्हाज एवं दीपक तिवाल को हत्या एवं महिलाओं के सम्मान से छेड़छाड़ करने का दोषी पाया। अभियोजन पक्ष के विशेष वकील उज्ज्वल निकम ने यह फैसला आने के बाद कहा कि चारों आरोपी हत्या एवं लड़कियों से छेड़छाड़ के मामले में सीधे दोषी पाए गए थे।
जानें, कीनन-रूबेन हत्याकांड में क्या हुआ था पांच वर्ष पहले उस रात
चारों को इरादतन हत्या का दोषी पाया गया। निकम के अनुसार छेड़छाड़ की शिकार हुई दोनों लड़कियों के विस्तार से दिए गए बयान एवं गवाहियों ने इस मुकदमे को मजबूती प्रदान करने में बड़ी भूमिका निभाई। जिसके कारण वे आरोपियों को उम्रकैद की सजा दिलवा सके। चूंकि चारों आरोपियों के विरुद्ध साजिश रचने का मामला साबित नहीं हो रहा था, इसलिए अभियोजन पक्ष ने उनके लिए मृत्युदंड की मांग नहीं की थी।
बता दें कि 20 अक्तूबर, 2011 को कीनन और रुबेन अपने कुछ मित्रों के साथ अंधेरी (पश्चिम) स्थित अंबोली क्षेत्र के एक रेस्टोरेंट में खाना खाने गए थे। वहीं शौचालय की तरफ जा रही कीनन और रूबेन की दो महिला मित्रों के साथ जीतेंद्र राणा ने अभद्रता की। राणा की इस हरकत का कीनन द्वारा विरोध किया गया। राणा उस समय तो धमकी देकर रेस्टोरेंट से चला गया। लेकिन कुछ समय बाद अपने कुछ साथियों के साथ हथियार लेकर लौटा। तब तक कीनन और उसके मित्र रेस्टोरेंट के बाहर पान की दुकान पर आ चुके थे।
पढ़ें- हत्या में दंपती समेत तीन को उम्रकैद
राणा और उसके दोस्तों ने पहले कीनन पर चाकुओं से हमला बोला। फिर कीनन की मदद में आगे आए रुबेन को भी चाकुओं से गोद डाला। मुंबई में रात 10 बजे यह घटना दर्जनों लोगों के सामने हुई। लेकिन दोनों मित्रों को बचाने कोई आगे नहीं आया। हमले में कीनन की मौके पर ही मृत्यु हो गई और रुबेन 10 दिन बाद अस्पताल में मौत से हार गया।
आज यह फैसला आने के बाद कीनन के पिता वालेरियन संतोष ने कहा कि यह फैसला सबके लिए है। उन्होंने हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की आंखू में आ गए आंसू याद करते हुए कहा कि हम यह नहीं कहते कि अपराधियों को तुरंत पकड़कर फांसी पर लटका देना चाहिए। लेकिन फैसला आने में देर नहीं होनी चाहिए। बता दें कि फास्ट ट्रैक अदालत में मुकदमा चलने के बावजूद इस मामले में फैसला आने में करीब पांच वर्ष लग गए। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में 245 गवाहों के बयान लिए थे।