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अखिलेश की 'डेयरी' की पतली 'धार'

मेरठ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की महत्वाकांक्षी 'कामधेनु डेयरी' जनपद में पैर नहीं जमा पा रही है। कहते हैं कि कामधेनु से जो मांगो, मिलता है, लेकिन उल्टे 'अखिलेश' की 'कामधेनु' यहां ठिकाने की गुहार लगा रही है। डेयरी की आस में पशुपालकों की आंखें पथरा रही हैं। कागजों में मंजूर डेयरियां जमीन पर उतर नहीं पा रही हैं। सीएम क

By Edited By: Published: Tue, 16 Sep 2014 09:46 AM (IST)Updated: Tue, 16 Sep 2014 09:59 AM (IST)
अखिलेश की 'डेयरी' की पतली 'धार'

मेरठ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की महत्वाकांक्षी 'कामधेनु डेयरी' जनपद में पैर नहीं जमा पा रही है। कहते हैं कि कामधेनु से जो मांगो, मिलता है, लेकिन उल्टे 'अखिलेश' की 'कामधेनु' यहां ठिकाने की गुहार लगा रही है। डेयरी की आस में पशुपालकों की आंखें पथरा रही हैं। कागजों में मंजूर डेयरियां जमीन पर उतर नहीं पा रही हैं।

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सीएम की ड्रीम योजना फांक रही धूल

दूध के बदले बाजार में सिंथेटिक रसायन मिल रहा है। दूधमुंहे बच्चे से लेकर बड़े-बुजुर्ग तक दूध के नाम पर 'जहर' पीने को मजबूर हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस स्थिति से निपटने के लिए दूसरी श्वेत क्त्रांति का बिगुल फूंकते हुए सूबे में भारी संख्या में कामधेनु डेयरी और मिनी कामधेनु डेयरी खोलने की योजना बनाई। पशुपालकों को लाखों रुपये ब्याज अनुदान की घोषणा के साथ पिछले साल जुलाई में गर्मजोशी से योजना लांच की गई। जिले को 6 कामधेनु डेयरी एवं 30 मिनी कामधेनु डेयरी खोलने का टारगेट दिया गया था लेकिन अब तक केवल दो ही साकार हो पाईं हैं।

कागज में मंजूर, बैंक दिखा रहा अंगूठा

जिला स्तरीय कमेटी ने गत 14 जुलाई को साक्षात्कार के बाद 6 कामधेनु और 30 मिनी कामधेनु डेयरी के लिए पात्रों का चयन कर स्वीकृति पत्र जारी कर दिया। सभी आवेदन बैंकों को फारवर्ड कर दिए गए। आलम यह कि बैंकों ने अब तक कामधेनु के 3 एवं मिनी कामधेनु के 6 आवेदन के लिए लोन पास किया है। खरखौदा ब्लाक के कूड़ी गांव में भूले सिंह और माछरा ब्लाक के नगली साहू गांव निवासी नूर हसन ही ऐसे पशुपालक हैं जिनके यहां सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट साकार हुआ है। बाकी पात्र आवेदक बैंकों के चक्कर काट रहे हैं।

क्या है कामधेनु डेयरी योजना?

कामधेनु योजना दो तरह की है। कामधेनु डेयरी योजना में पशुपालक को 100 गाय या 100 भैंस पालना है। प्रोजेक्ट लागत 1.20 करोड़ है। पात्रों को केवल 30 लाख रुपये की मार्जिन मनी देनी है, बाकी बैंक से कर्ज मिलता है। पांच वर्ष का ब्याज जो करीब 33 लाख रुपये बैठता है, भुगतान प्रदेश सरकार करेगी। मिनी कामधेनु डेयरी में 50 भैंस या 50 गाय पालना है। प्रोजेक्ट लागत 52 लाख रुपये है। पशुपालक को केवल 13 लाख रुपये की मार्जिन मनी देनी है। बाकी बैंक ऋण देता है। सरकार पांच वर्ष का ब्याज करीब 14 लाख रुपये वहन करेगी।

कामधेनु योजना मुख्यमंत्री की प्राथमिकता सूची में शुमार है। पशु चिकित्सा विभाग ने आवेदकों का चयन कर बैंकों को फाइलें भेज दी हैं। बैंक द्वारा लोन मंजूर करने में लेटलतीफी के चलते अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहा है।

-डा. महेंद्र पाल सिंह, डिप्टी सीवीओ, मेरठ।

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