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अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए और कदम उठाए अखिलेश सरकार: एमनेस्टी

दादरी घटना के बाद उत्तरप्रदेश सरकार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं के निशाने पर भी आ गई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने अखिलेश सरकार से अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए और कदम उठाने की मांग की है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के सहारे एमनेस्टी ने उत्तरप्रदेश में बढ़ती सांप्रदायिक झड़पों

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2015 02:22 AM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2015 02:34 AM (IST)
अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए और कदम उठाए अखिलेश सरकार: एमनेस्टी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दादरी घटना के बाद उत्तरप्रदेश सरकार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं के निशाने पर भी आ गई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने अखिलेश सरकार से अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए और कदम उठाने की मांग की है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के सहारे एमनेस्टी ने उत्तरप्रदेश में बढ़ती सांप्रदायिक झड़पों का भी हवाला दिया है।

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दादरी में गोमांस खाने के आरोप में इखलाक की पीट-पीटकर की गई हत्या की निंदा करते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा कि सांप्रदायिक तनाव को कम करने के लिए सिर्फ आरोपियों की गिरफ्तारी ही पर्याप्त नहीं है। इसके बजाय सरकार के राज्य में बढ़ते सांप्रदायिक झड़पों से निपटने के उपाय करने चाहिए। मानवाधिकार संगठन के अनुसार गायों की सुरक्षा का अधिकार स्वयंभू संगठनों पर नहीं छोड़ा जा सकता है। अखिलेश सरकार को यह जरूर साबित करना चाहिए कि उत्तरप्रदेश सभी धर्मो के लोगों के रहने के लिए सुरक्षित जगह है।

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एमनेस्टी ने राज्य सरकार से मुजफ्फरनगर दंगे पर जस्टिस विष्णु सहाय आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने और उस पर कार्रवाई करने की मांग की है। रिपोर्ट में जिन नेताओं, अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को इसके लिए दोषी ठहराया गया है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

गृह मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि 2015 के शुरुआती छह महीने में ही उत्तरप्रदेश में 68 सांप्रदायिक हिंसक झड़पें दर्ज की गई हैं। ये दिखाता है कि किस तरह से दो समुदायों के बीच अविश्वास बढ़ रहा है।

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