चार साल बाद भी चीन सीमा पर तैनात नहीं हुई मिसाइलें: कैग
कैग की रिपोर्ट में सतह से हवा में मार करने में सक्षम आकाश मिसाइल में गंभीर खामी की बात सामने आई है।
नई दिल्ली, आइएएनएस : डोकलाम में चीन से तनातनी के बीच नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। संसद में शुक्रवार को पेश कैग की रिपोर्ट में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश भर के छह स्थानों पर मिसाइल रक्षा प्रणाली लगाने में लेट-लतीफी की बात सामने आई है। इसमें चीन से लगती सीमा भी शामिल है। वर्ष 2013-15 के बीच वायुसेना के लिए मिसाइलें तैनात की जानी थीं, लेकिन चार साल बाद भी यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है, 'खतरों को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2010 में वायुसेना के लिए 'एस' सेक्टर में मिसाइल प्रणाली तैनात करने का फैसला लिया था। इसे जून, 2013 से दिसंबर, 2015 के बीच चरणबद्ध तरीके से तैनात करने की योजना थी। लेकिन, चार साल बाद भी यह क्षमता हासिल नहीं की जा सकी है। देरी की मुख्य वजह मिसाइल प्रणाली की तैनाती के लिए आधारभूत संरचना की तैयारी में असामान्य विलंब है।
हालांकि, इस दिशा में अब तक तकरीबन चार हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।' रिपोर्ट में तैनाती स्थल का उल्लेख कोड में किया गया है। सूत्रों की मानें तो 'एस' सेक्टर वायुसेना का पूर्वी कमान है। इस क्षेत्र में चीन के साथ भारत की विस्तृत सीमा लगती है। तैनात किए जाने वाले मिसाइल का नाम भी नहीं बताया गया है, लेकिन माना जा रहा है छह स्थानों पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित आकाश मिसाइल को तैनात किया जाना है।
योजना के तहत सतह से हवा में मध्यम दूरी तक मार करने में सक्षम सुपरसोनिक मिसाइल लगाने की बात कही गई है। वर्ष 2014 तक 80 मिसाइलों की आपूर्ति भी की जा चुकी है।
सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट कमेटी ने 'ए' और 'बी' कमान में क्रमश: अक्टूबर, 2014 और मार्च, 2015 तक मिसाइल सिस्टम तैनात करने को मंजूरी दे दी थी। नवंबर, 2010 में वायुसेना के 'सी' कमान में स्थित छह अड्डों पर छह स्क्वाड्रन मिसाइल प्रणाली तैनात करने को भी स्वीकृति दे गई थी। इसके बावजूद यह प्रक्रिया भी अभी तक पूरी नहीं हुई है।
आकाश मिसाइल में गंभीर खामी
कैग की रिपोर्ट में सतह से हवा में मार करने में सक्षम आकाश मिसाइल में गंभीर खामी की बात सामने आई है। परीक्षण के दौरान इसके विफल होने की दर 30 फीसद तक बताई गई है। अप्रैल से नवंबर, 2014 के बीच 20 मिसाइलों का परीक्षण किया गया, जिनमें छह विफल रहीं।
सशस्त्र बलों में 52 हजार जवानों की कमी
सशस्त्र बलों में 52 हजार से ज्यादा जवानों की कमी है। रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने शुक्रवार को लोकसभा में इसकी जानकारी दी। सबसे ज्यादा सेना में 25,472 जवानों की कमी है। वायुसेना (13,785) और नौसेना (13,373) में भी जवानों की कमी की जानकारी दी गई है।
पेंशन प्रणाली में गड़बड़ी
कैग की रिपोर्ट में रक्षा पेंशन प्रणाली में गड़बड़ी की बात सामने आई है। लोकसभा में पेश रिपोर्ट में अधूरा लेखा-जोखा और अधिकृत करने की प्रक्रिया में खामी की बात सामने आई है। प्रक्रियागत खामियों की वजह से मार्च, 2016 तक बैंकों में 6,831 करोड़ रुपया पड़े होने की बात कही गई है।
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