प्रदूषण ने ढाया ऐसा कहर, जानें दिल्ली-मुंबई में कितने लोगों की गई जान
ताजा अध्ययन के जरिये पता चला है कि दिल्ली और मुंबई में तकरीबन 80 हजार लोगों की आसामयिक मौत वायु प्रदूषण के चलते हुई है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। वायु प्रदूषण महामारी का रूप ग्रहण करता जा रहा है। पूरे देश में होने वाली कुल मौतों का यह पांचवां बड़ा कारक है। ताजा अध्ययन के जरिये पता चला है कि दिल्ली और मुंबई में तकरीबन 80 हजार लोगों की आसामयिक मौत वायु प्रदूषण के चलते हुई है। मौतों का यह आंकड़ा पिछले तीन दशकों के दौरान का है। यह भयावह आंकड़ा मुंबई स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी के अध्ययन में सामने आया है।
70 हजार करोड़ रुपये का भारी-भरकम नुकसान
वायु प्रदूषण के प्रभाव से न केवल इंसानी मौतें हो रही हैं, बल्कि इससे भारी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। इससे तकरीबन देश को 70 हजार करोड़ रुपये का भारी-भरकम नुकसान उठाना पड़ा है। यह भी कम हैरानी की बात नहीं है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 0.71 फीसद है।
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पीएम 10 के चलते दिल्ली में ज्यादा मौतें
अध्ययन में यह भी बताया गया है कि वायु प्रदूषण के चलते इसका सर्वाधिक प्रभाव स्वास्थ्य पर ही पड़ा है। पीएम 10 सबसे ज्यादा प्रभाव डाल रहा है। यह कण ठोस या तरल रूप में वातावरण में होते हैं। इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल हैं। पीएम 10 के चलते दिल्ली में ज्यादा मौतें हुई हैं। पीएम 10 गाड़ियों, निर्माण कार्यों और उद्योगों में होने वाले प्रदूषण के चलते बढ़ता है।
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अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि वायु प्रदूषण से दिल्ली में 1995 तक 19716 लोगों की मौत हुई थीं, जबकि 1995 से 2015 के बीच 48651 लोगों की मौत हुई। वहीं, मुंबई में तुलनात्मक रूप से यह आंकड़ा क्रमशः 19291 और 32014 रहा।
दिल्ली में औसतन 80 लोगों की जान ले रहा प्रदूषण
कुछ साल पहले आई एक रिपोर्ट में भी कहा गया था कि प्रदूषण के कारण दिल्ली में सालाना 10,000 से 30,000 जानें जा रही हैं। वहीं, यह बात भी कही गई थी कि प्रदूषण हर दिन भारत की राजधानी में औसतन 80 लोगों की जान ले रहा है।
10 से 30 हजार मौतें होती हैं हर साल
दिल्ली में हर साल होने वाली दस हजार से लेकर तीस हजार मौतों के लिए यहां का वायु प्रदूषण जिम्मेदार है और पूरे देश में होने वाली कुल मौतों का यह पांचवां बड़ा कारक है। सेंटर फार साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई थी। इसमें कहा गया था कि जलवायु परिवर्तन हमें मौसम की स्थितियों में आ रहे तेज और अतिवादी बदलाव और उसकी सघनता की ओर ले जा रहा है।
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