आगरा में पांच धर्मस्थलों में तोडफ़ोड़, आगजनी
आगरा के शमसाबाद में सांप्रदायिक संघर्ष के दूसरे दिन आज सुबह समुदाय विशेष के एक धर्म स्थल में तोडफ़ोड़ से तनाव और बढ़ गया। पुलिस ने बाजार बंद करा दिए और लोगों को घरों से न निकलने की हिदायत दी। इससे अघोषित कफ्र्यू की स्थिति बन गई। पर पुलिस ने
लखनऊ। आगरा के शमसाबाद में सांप्रदायिक संघर्ष के दूसरे दिन आज सुबह समुदाय विशेष के एक धर्म स्थल में तोडफ़ोड़ से तनाव और बढ़ गया। पुलिस ने बाजार बंद करा दिए और लोगों को घरों से न निकलने की हिदायत दी। इससे अघोषित कफ्र्यू की स्थिति बन गई। पर पुलिस ने जब तक कस्बे के हालात काबू किए, तब तक सांप्रदायिकता की आग गांवों तक पहुंच गई। शाम तक कस्बे और आसपास के गांवों में इसी समुदाय के चार धर्मस्थलों में तोडफ़ोड़ कर दी गई। शाम को कस्बे में खोखा फूंक दिया गया। मिश्रित आबादी वाले 11 गांवों में पुलिस तैनात है। कस्बे में रैपिड रेस्पांस फोर्स (आरआरएफ) और पीएसी ने मोर्चा संभाल लिया है।
फेसबुक पर ग्रुप बनाकर संप्रदाय विशेष को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर शमसाबाद में गुरुवार को सांप्रदायिक संघर्ष हो गया था। पुलिस ने देर रात अपनी ओर से दोनों पक्षों के करीब पांच सौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पंद्रह लोगों को गिरफ्तार कर लिया। शुक्रवार सुबह साढ़े आठ बजे पुलिस की मौजूदगी में कुछ उपद्रवी एक धर्मस्थल पर पहुंचे और तोडफ़ोड़ कर भाग गए। पुलिस और प्रशासन इसे ठीक कराने में लगा था कि इसी बीच साढ़े दस बजे एक किमी दूर कस्बे की खटीक बस्ती में पुरा पर खेत में बने धर्मस्थल में जमकर तोडफ़ोड़ कर दी गई। दोपहर में कस्बे से आठ किमी दूर स्थित नया बास गांव के पास धर्म स्थल में तोडफ़ोड़ कर पास बने कमरे की छत तोड़कर उसमें रखे कपड़ों में आग लगा दी गई। दोपहर बाद तीन बजे कस्बे से आगरा की ओर छह किमी दूर स्थित ऊंचा गांव में भी धर्मस्थल में तोडफ़ोड़ की गई। शाम तक कस्बे और आसपास के गांवों में हालत तनावपूर्ण थे। डीआइजी लक्ष्मी सिंह ने बताया कि स्थिति नियंत्रण में है। एहतियातन कस्बे के आसपास के 11 गांवों में पुलिस फोर्स तैनात कर दिया गया है।
यह तो होना ही था
आगरा के शमसाबाद में सांप्रदायिक संघर्ष की चिंगारी सुलग रही थी और अफसर थाने में पंचायत कराने में लगे रहे। इसके चलते चिंगारी जैसे ही आग में तब्दील हुई तब अफसर थाने से फोर्स के साथ बाहर निकले। तब तक हालात बेकाबू हो चुके थे। बवाल शांत होने के बाद अफसरों की लापरवाही सबकी जुबान पर थी। शमसाबाद कस्बे के लोग बवाल शांत होने के बाद कह रहे थे कि अगर अधिकारी थाने में बैठकर पंचायत करने के बजाय संवेदनशील इलाके पुलिस फोर्स लगा दिया जाता तो संघर्ष नहीं होता।