जानें, ब्रेक्सिट के बाद भारतीय उद्योग जगत की क्या है राय
उद्योग चैंबर सीआइआइ का कहना है कि सरकार व नियामक एजेंसियों को सबसे ज्यादा अस्थिरता को लेकर चिंतित होना चाहिए।
नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। इंडिया इंक की माने तो ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने से भारत को उतना घाटा नहीं होगा जितना घरेलू वित्तीय बाजारों में अस्थिरता से होगा। यही वजह है कि सभी उद्योग चैंबरों के साथ ही शेयर बाजार के विशेषज्ञों ने भी सरकार से आग्रह किया है कि वह देश के शेयर, मुद्रा व अन्य वित्तीय बाजारों में अनुशासन बनाये रखने पर सबसे ज्यादा ध्यान दे। वैसे उद्योग जगत यह भी मान रहा है कि ब्रिटेन के ईयू के बाहर होने से भारत पर असर तो पड़ेगा लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचे में मजबूती की वजह से इस हालात से बहुत जल्दी उबरा भी जा सकता है।
उद्योग जगत ने यह भी संकेत दिया है कि ब्रिटेन के अलग होने से वहां कारोबार करने के लिए उनके पास अब ज्यादा बेहतर माहौल उपलब्ध होगा क्योंकि ब्रिटिश सरकार और यूरोपीय संघ के बीच निवेशकों को आकर्षित करने को लेकर प्रतिस्पर्द्धा होगी। उद्योग चैंबर सीआइआइ का कहना है कि सरकार व नियामक एजेंसियों को सबसे ज्यादा अस्थिरता को लेकर चिंतित होना चाहिए। जहां तक भारतीय कंपनियों की बात है तो उन्हें यूरोपीय संघ के लिए अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करना होगा। अभी तक बहुत सारे देश ब्रिटेन को यूरोपीय संघ का प्रवेश द्वार समझते रहे हैं। जाहिर है कि इस सोच को बदलना होगा लेकिन भारत और ब्रिटेन के बीच के रिश्तों का भी अपना महत्व है।
सीआइआइ के अध्यक्ष डॉ. नौशाद फोर्ब्स मानते हैं कि अभी बाजार में जो अस्थिरता दिख रही है वह क्षणिक है। लंबी अवधि में इसका भारत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। उद्योग चैंबर फिक्की ने ब्रिटिश जनता के जनमत का स्वागत किया है लेकिन कहा है कि पूरी दुनिया एक दूसरे से जुड़ी हुई है और इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि एक देश के बड़े फैसले का दूसरे देशों पर असर नहीं पड़े। वैसे भी इस फैसले से लंबे समय तक बाजार में अस्थिरता का माहौल बना रह सकता है। सभी देशों को राजनीतिक व आर्थिक तौर पर स्थिरता बनाये रखने की कोशिश करनी चाहिए।
जानिए, ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन अौर ईयू पर क्या होगा असर
एक अन्य उद्योग चैंबर एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर खास असर पड़ने के फिलहाल आसार तो नहीं हैं लेकिन वैश्विक शेयर व मुद्रा बाजार की अस्थिरता ज्यादा लंबी नहीं खींचनी चाहिए। सरकार व भारतीय कंपनियों को इन मुद्दों को ध्यान में रख कर तैयारी करनी चाहिए। महिंद्रा समूह के सीईओ वी सी पार्थसारथी का कहना है कि अभी जो अस्थिरता का माहौल है वह कुछ समय तक जारी रहेगा। इससे यह सीख मिलती है कि सरकार, नियामक एजेंसियों को कारपोरेट सेक्टर के साथ मिल कर बड़े संस्थानों को स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए। पार्थसारथी का मानना है कि ब्रेक्सिट महिंद्रा समेत तमाम भारतीय कंपनियों के लिए कुछ संभावनाएं भी पैदा होंगी।