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न अस्पताल, न एंबुलेंस- मरीज को 14 किमी कंधे पर टांगकर ले जाने को मजबूर परिजन

छत्तीसगढ़ से एक तस्वीर सामने आई है जिसे देखकर आप सोचने को मजबूर हो जाएंगे कि सरकार देश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कितनी गंभीर है।

By Suchi SinhaEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 10:17 AM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 12:25 PM (IST)
न अस्पताल, न एंबुलेंस- मरीज को 14 किमी कंधे पर टांगकर ले जाने को मजबूर परिजन
न अस्पताल, न एंबुलेंस- मरीज को 14 किमी कंधे पर टांगकर ले जाने को मजबूर परिजन

छत्तीसगढ़(एएनआइ)। देश में इलाज के लिए तरसते मरीजों की बेकदरी का अालम ये है कि कहीं अपनी सुरक्षा को लेकर डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर चले जाता हैं, तो कहीं परिजन मरीज को कंधे पर टांगकर अस्पताल ले जाने को मजबूर हैं। जी हां उड़ीसा के बाद अब छत्तीसगढ़ से एक तस्वीर सामने आई है, जिसे देखकर आप सोचने को मजबूर हो जाएंगे कि सरकार देश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कितनी गंभीर है।

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ये तस्वीर दंतेवाड़ा के लावा गांव की है, जहां आदिवासी अब भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। परिजन एम्बुलेंस के अभाव में मरीज को कंधे पर टांगकर अस्पताल ले जा रहे हैं। घर से अस्पताल तक की दूरी भी आपको चौका देगी। 14 किलोमीटर तक इसी तरह कंधे पर टांगकर मरीज को अस्पताल तक ले जाना है। यहां के लोगों के लिए रास्ते भर में ही परेशानी नहीं है, बल्कि अस्पताल पहुंचने के बाद भी सुविधाओं के नाम पर लोगों को काफी मुश्किलों से दो-चार होना पड़ता है।

मरीज के भाई का कहना है, 'गांव में सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए न कोई एंबुलेंस है न ही कोई बस। एनएमडीसी ने हमें एंबुलेंस की सुविधा देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक एंबुलेंस की सुविधा दी नहीं दी गई। हम मरीज को एक खाट पर अस्पताल ले जा रहे हैं। हमसे सिर्फ वादे किए जाते हैं सुविधा कभी मिलती ही नहीं।'

अस्पताल में एंबुलेंस से लेकर बेड, दवाई और डॉक्टर सभी चीजों के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। बता दें कि हाल ही में उड़ीसा का भी एक मामला सामने आया था जहां एक पति अपनी पत्नी को इलाज के लिए कंधे पर रखकर ले गया और अंत में इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई। ऐसे न जाने कितने मामले हैं तो उजागर ही नहीं हो पाते हैं।

गौरतलब है कि देश में स्वास्थ्य पर सरकार उतना पैसा खर्च नहीं करती है, जितने की जरूरत है। यही वजह है कि राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत खस्ता है।

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