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एवरेस्ट फतह कर लौटी सीमा गोस्वामी ने जागरण को कहा शुक्रिया

पर्वतारोही सीमा गोस्वामी मंगलवार को अपने कैथल के सीवन स्थित घर पहुंच गई।सीमा ने मदद के लिए दैनिग जागरण का स्पेशल थैंक्स किया।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 01 Jun 2016 03:39 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jun 2016 03:51 AM (IST)
एवरेस्ट फतह कर लौटी सीमा गोस्वामी ने जागरण को कहा शुक्रिया

सुनील शर्मा, कोलकाता : आखिरकार दैनिक जागरण की मुहिम और केंद्र सरकार की मदद से एवरेस्ट फतह करने वाली सीमा गोस्वामी घर पहुंच पाईं। वह मंगलवार को हरियाणा के कैथल जिले की सीवन स्थित अपने घर पहुंचीं। इसके लिए इस पर्वतारोही ने दैनिक जागरण तथा केंद्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सफलता के बाद घर वापसी की उन्हें आपार खुशी है।

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सीमा के एवरेस्ट पर परचम लहराने के बाद उनके सकुशल घर लौटने पर परिजनों ने बेहद खुशी जताई। पानीपत में कई संस्थाओं ने एवरेस्ट जयी का अभिनंदन किया। गौरतलब है कि आर्थिक तंगी और हिम मार्ग की विषम परिस्थितियों में मौत से लड़कर सीमा ने एवरेस्ट फतह तो कर ली, लेकिन पैसे के अभाव में वह घर नहीं लौट पा रही थीं। वह कठिनाइयों को झेलते हुए अपनी मंजिल तक पहंुचीं, लेकिन लौटते वक्त तबीयत बिगड़ गई।

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परिस्थिति प्रतिकूल होने की वजह से लगभग 24 घंटे तक वह मार्ग में पड़ी रहीं। बाद में उनका ऑक्सीजन सिलेंडर भी समाप्त हो गया। किसी अन्य पर्वतारोही की ऑक्सीजन से उनकी रक्षा की गई। उसके बाद उन्हें 21 मई को हेलीकॉप्टर से बेस कैंप और फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत सुधरने के बाद उन्हें होटल में ले जाया गया। उन्हें बतौर राहत व इलाज खर्च सात लाख रुपये यात्रा पर ले जाने वाली एजेंसी को चुकाने थे, लेकिन वह असमर्थ थीं। दैनिक जागरण में इस घटना से संबंधित खबर 29 मई को प्रकाशित की गई थी। इस पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर सोमवार को सीमा की घर वापसी में सरकार की ओर से मदद का भरोसा दिया था।

मां को दिया सफलता का श्रेय

कैथल : स्वप्निल था वो मंजर। माउंट एवरेस्ट पर जब तिरंगा लहराया तो खुशी के मारे पूरा दल उछल पड़ा। कदम जमीन पर नहीं टिक रहे थे। पर्वत चोटी को चूमकर भारत माता का जयघोष किया। इसके बाद याद आई मां, जिसने विषम परिस्थितियों के बावजूद मिशन पूरा करने के लिए सर्वस्व झोंक दिया। यह कहना है मिशन माउंट एवरेस्ट को सफलतापूर्वक पूरा कर लौटी सीवन की बेटी सीमा गोस्वामी का। पहाड़ों के अनुभव साझा करते हुए सीमा ने बताया कि वह अब भी उस स्वप्निल लम्हों में खोई हुई हैं। 20 मई की सुबह 7 बजकर 53 मिनट का वो क्षण कभी नहीं भूल सकती जब माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया था।


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