#BigNoteBan: आयकर विभाग की रहेगी नजर
वित्त मंत्रालय के आय कर विभाग को भी इस कदम से पड़ने वाले असर व माहौल से निबटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने बड़े नोटों पर लगी पाबंदी को काले धन के खिलाफ अभी तक की सबसे बड़ी कार्रवाई यूं ही नहीं कहा है। वित्त मंत्रालय के आय कर विभाग को भी इस कदम से पड़ने वाले असर व माहौल से निबटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।
आने वाले दिनों में देश भर के बैंकों व डाक घरों में बड़ी संख्या में लोगों के आने के आसार हैं। इनमें से कई लोग अपनी 500 व 1000 के नोट को जमा कराने के लिए आएंगे। सरकार का मानना है कि घरों में रखे गये ब्लैक मनी को अब लोग टैक्स अदा कर बैंक खाते में रखने के लिए बाध्य होंगे। इन पर आय कर विभाग को न सिर्फ नजर रखनी है बल्कि आय कर गणना भी करनी है।
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वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक जो काम स्वैच्छिक आय घोषणा योजना नहीं कर पाई है वह काम सरकार के इस कदम से होगा। यह स्कीम 30 सितंबर को बंद हुई और इसमें 65 हजार करोड़ रुपये की ब्लैक मनी की घोषणा हुई है। लेकिन नई स्कीम के तहत बाजार में जितने भी 500 व 1000 के नोट हैं उन्हें जमा कराना होगा। बाजार में उपलब्ध 500 व 1000 के नोटों की कीमत 14,500 अरब रुपये है।
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अगर विश्व बैंक की वर्ष 2010 की रिपोर्ट को ही आधार माना जाए तो 20 फीसद ब्लैक मनी है तो इस हिसाब से 2900 करोड़ रुपये की राशि ब्लैक मनी में हो सकती है। लेकिन यह सिर्फ अनुमान है। कई एजेंसियां यह मानती हैं कि देश की अर्थव्यवस्था का 40 फीसद तक ब्लैक मनी में है। 500 व 1000 रुपये के बड़े नोट रखने वालों के पास इस राशि को बैंकों में जमा कराने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा। आय कर विभाग और बैंकों के बीच बेहतर सामंजस्य बनाने के लिए कदम उठा लिया गया है।
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