तीनों सेनाओं के एक सिद्धांत की वकालत
सेना के अधिकारियों ने सुरक्षा खतरों पर बात की, आधुनिकीकरण पर दिया जोर..
नई दिल्ली, एजेंसी। देश के शीर्ष सैन्य कमांडरों ने भारत के आंतरिक और बाहरी सुरक्षा खतरों का विस्तृत विश्लेषण किया है। साथ ही बड़ी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं के एक सिद्धांत की वकालत करने के साथ बल के आधुनिकीकरण पर जोर दिया है। छह दिवसीय वार्षिक कमांडर सम्मेलन में सेना के शीर्ष अधिकारियों ने बल के लिए मानव संसाधन नीति पर भी व्यापक विचार-विमर्श किया।
उन्होंने सहायक प्रणाली के खिलाफ बढ़ती शिकायतों पर भी बात की और इस तरह के मुद्दों से निपटने के लिए और अधिक व्यावहारिक तरीका विकसित करने का भी फैसला किया। सैन्यकर्मियों की पदोन्नति के एक और जटिल मुद्दे पर सम्मेलन में इस बात की ओर इशारा किया गया कि सेना में बहुत ज्यादा पिरामिड वाले ढांचे के कारण 50 प्रतिशत से अधिक श्रमशक्ति को अत्यंत प्रतिस्पर्धी होने के बावजूद पदोन्नत नहीं किया जा रहा है। सम्मेलन में फैसला किया गया कि वृहद समानता लाने के लिए व्यापक पारदर्शिता और समावेशी रवैया अपनाया जाएगा।
विचार-विमर्श के दौरान सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने मानव संसाधन के मुद्दे पर ध्यान देने के लिए नीति बनाने के अधिक सहभागितापूर्ण प्रारूप की वकालत की और वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि संबंधित सेना मुख्यालयों की शाखाओं को इसके अनुसार इस पर व्यापक बातचीत करने का निर्देश दिया गया है। जनरल रावत ने समापन समारोह को संबोधित करते हुए सेना की ल़़डाकू क्षमता बनाए रखने के लिए सहयोगात्मक तरीके से काम करने की जरूरत पर जोर दिया और हवाई क्षमता तथा उड्डयन क्षमताओं को विस्तार देने पर अधिक ध्यान देने की मांग की। सेना ने एक बयान में कहा, आधुनिकीकरण योजना को तेजी देने का फैसला किया गया है। इस वक्तव्य में शनिवार को समाप्त हुए सम्मेलन में हुई चर्चा का ब्योरा साझा किया गया। सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर के हालात समेत अन्य सुरक्षा चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा हुई।
यह भी पढ़ेंः कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट बंद किया तो पत्थरबाजी में 90 फीसदी की कमी
यह भी पढ़ेंः आपकी सालाना आय में 2 लाख रुपये वृद्धि करना चाहती है सरकार