शहाबुद्दीन की ओर से पेश हुए बिहार सरकार के पैनल वकील
शोएब आलम शहाबुद्दीन की एओर वकील हैं जो कि वरिष्ठ वकील को बहस में सहयोग कर रहे थे।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। वकील सरकार के और आलोचना भी सरकार की। मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट में एक नजारा ऐसा ही था। शहाबुद्दीन के बचाव में उतरे वकील ने बिहार सरकार की कानून व्यवस्था पर ही सवाल उठा दिया और पूछा कि शहाबुद्दीन को स्थानांतरित करने से पहले यह विचार किया जाना चाहिये कि क्या राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह फेल हो गई है। शहाबुद्दीन की पैरवी कर रही टीम में एक मुख्य वकील मोहम्मद शोएब आलम भी हैं जिन्हें चार दिन पहले ही बिहार सरकार ने अपने पैनल में शामिल किया है। शोएब आलम शहाबुद्दीन की एओर वकील हैं जो कि वरिष्ठ वकील को बहस में सहयोग कर रहे थे।
बिहार सरकार ने गत 1 दिसंबर को आदेश जारी कर दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय व न्यायधिकरणों में सरकार की पैरोकारी के लिए वकीलों का पैनल नियुक्त किया है। इस पैनल में मोहम्मद शोएब आलम का भी नाम शामिल है। यानी शोएब आलम चार दिन पहले बिहार सरकार के अपर स्थाई सलाहकार नियुक्त हो गए थे, लेकिन मंगलवार को भी वे शहाबुद्दीन की ओर से सुप्रीमकोर्ट में पेश हुए और शहाबुद्दीन को बिहार की सिवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में स्थानांतरित करने का विरोध कर रहे वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े को उन्होंने असिस्ट किया।
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वकील शोएब आलम शहाबुद्दीन के एओआर हैं। एओआर वह वकील होता है जो कि सुप्रीमकोर्ट में मुकदमा दाखिल करने के लिए अधिकृत होता है। शोएब आलम ही सुप्रीमकोर्ट में शहाबुद्दीन के अधिकृत वकील हैं। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार सरकार का पैनल वकील नियुक्त होने के बाद शोएब आलम को मोहम्मद शहाबुद्दीन की पैरवी से स्वयं को हटा लेना चाहिये था। उन्हें कोर्ट से इस केस में डिस्चार्ज ले लेना चाहिये था। सुप्रीमकोर्ट के वकील डीके गर्ग कहते हैं कि लंबित मामले में एक याचिकाकर्ता तेजाबकांड के पीडि़त चंदाबाबू भी हैं। तेजाब कांड में शहाबुद्दीन अभियुक्त है और बिहार सरकार अभियोजक। ऐसे में हितों का टकराव होगा।
शोएब आलम को मामले से हट जाना चाहिये। गर्ग कहते हैं कि बहुत सी बाते ऐसी होती हैं जो कि अभियुक्त विश्वास में आकर अपने वकील को बताता है और वकील उन बातों को किसी से साझा नहीं कर सकता। इसके अलावा सरकार का वकील होने पर आप सरकार से कोई तथ्य नहीं छुपा सकते ऐसे मे सीधे तौर पर हितों का टकराव होगा। इस स्थिति में उन्हें शहाबुद्दीन की पैरवी से हट जाना चाहिये या फिर सरकार का अपर स्थाई सलाहकार पद पर नियुक्ति का प्रस्ताव स्वीकार न करें।
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गत एक दिसंबर को बिहार सरकार ने वरीय अधिवक्ता, स्थाई सलाहकार और अपर स्थाई सलाहकार नियुक्त किये हैं। इसमें आभा आर शर्मा को भी अपर स्थाई सलाहकार नियुक्त किया गया है। आभा सुप्रीमकोर्ट मे बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप की वकील हैं। आदेश के मुताबिक पटना हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश नागेन्द्र राय जो कि वरिष्ठ अधिवक्ता भी हैं और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद स्वरूप को वरीय अधिवक्ता नियुक्त किया गया है। गोपाल सिंह सुप्रीमकोर्ट में बिहार सरकार के स्थाई सलाहकार हैं। इसके अलावा सात वकीलों को अपर स्थाई सलाहकार नियुक्त किया गया है। जिसमें रुद्रेश्वर सिंह, अभिनव मुखर्जी, श्रीमती नीलम सिंह, मोहम्मद शोएब आलम, श्रीमती लतिका राव, श्रीमती आभा आर शर्मा व मनीष कुमार शामिल हैं।