आडवाणी ने उठाया नैतिकता का मुद्दा, आक्रामक हुअा विपक्ष
सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के बचाव में दृढ़ होकर खड़ी भाजपा विपक्ष से ज्यादा अपने नेताओं से असहज है। खासकर वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नए बयान ने विवाद को तूल दे दिया है और विपक्ष को हथियार। आडवाणी ने हवाला मामले में अपने त्यागपत्र की बात कहते हुए
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के बचाव में दृढ़ होकर खड़ी भाजपा विपक्ष से ज्यादा अपने नेताओं से असहज है। खासकर वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नए बयान ने विवाद को तूल दे दिया है और विपक्ष को हथियार। आडवाणी ने हवाला मामले में अपने त्यागपत्र की बात कहते हुए राजनीति में नैतिकता और राजधर्म की बात कही है।
कांग्रेस आडवाणी के बहाने भाजपा पर दोतरफा वार करने की तैयारी में जुट गई है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने चेतावनी दे दी है कि अब देर हुई तो प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग उठेगी। आजाद ने कहा, 'आडवाणी को जो कुछ कहना होता है साफ-साफ बोलते हैं। वह परिपक्व नेता हैं। भाजपा में कई नेता हैं जो अपने मन की बात कर रहे हैं। अब पीएम को कार्रवाई करनी होगी।'
गौरतलब है कि कांग्रेस पूरे विपक्ष को एकजुट कर सड़क से लेकर संसद तक सरकार को घेरने की योजना पर काम कर रही है। यह लगभग तय माना जा रहा है कि आगामी मानसून सत्र हंगामेदार होगा।
क्या कहा आडवाणी ने
आडवाणी वैसे तो कुछ दिन पहले भी आपातकाल की आशंका जताने को लेकर चर्चा में रहे थे, लेकिन उन्होंने तत्काल स्पष्ट कर दिया था कि उनके कथन को वर्तमान सरकार से न जोड़ा जाए। लेकिन अब नए बयान के कारण उंगली उठने लगी है।
आडवाणी ने एक बंगाली अखबार को साक्षात्कार में सुषमा या वसुंधरा पर कोई टिप्पणी करने से तो मना कर दिया लेकिन कथित रूप अपनी यादें ताजा करते हुए बयान दिया। उन्होंने कहा, 'जैन डायरी में मेरा नाम आते ही मैंने इस्तीफा दे दिया था।
अटल जी ने मुझे इस्तीफा देने से रोका था, लेकिन मैं नहीं रुका। राजनीतिज्ञ के लिए जनता का विश्वास बनाए रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। नैतिकता का तकाजा है कि सामाजिक जीवन में राजधर्म का पालन हो।'
असहज भाजपा ने साधी चुप्पी
भाजपा असहज है। दरअसल, सुषमा या वसुंधरा का बचाव सिर्फ इसी तर्क पर किया जा रहा है कि उन दोनों ने कानूनी रूप से भी कुछ भी गलत नहीं किया है। लेकिन आडवाणी ने नैतिकता का सवाल खड़ा कर विपक्ष को हथियार दे दिया है।
भाजपा में आडवाणी के बयान पर चुप्पी है। कुछ दिन पूर्व आरके सिंह ने भी यह कहकर परेशानी बढ़ा दी थी कि देश के भगोड़े ललित मोदी को किसी तरह की मदद नैतिक और कानूनी रूप से गलत है। पार्टी के एक नेता के अनुसार आरके सिंह के बयान को तो नजरअंदाज कर दिया गया लेकिन आडवाणी के बोल से परेशानी बढ़ सकती है।