डॉन अबू सलेम पर उपन्यास लिखने के लिए जेल की जिंदगी जीना चाहते हैं ये एडीएम
लव ट्रेजडी से जुड़े उपन्यास की विदेश से जुड़ी कहानी पूरी हो चुकी है, लेकिन महाराष्ट्र की तालोजा जेल में बंद अबु सलेम का कैदी का किरदार बाकी है
जेएनएन, गुना। देश का यह पहला मामला होगा, जब कोई एडिशनल डिस्टि्रक्ट मजिस्ट्रेट (एडीएम) उपन्यास लिखने के लिए जेल में कैदी की जिंदगी जीना चाहता हो। मप्र के गुना में पदस्थ एडीएम नियाज अहमद खान ने राज्य शासन से जेल में रहने की अनुमति मांगी है। इसकी वजह उनका आने वाला उपन्यास 'लव डिमांड्स ब्लड' है, जो एक्शन थ्रिलर उपन्यास होकर अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम की जिंदगी से जुड़ा है।
लव ट्रेजडी से जुड़े उपन्यास की विदेश से जुड़ी कहानी पूरी हो चुकी है, लेकिन महाराष्ट्र की तालोजा जेल में बंद अबु सलेम का कैदी का किरदार बाकी है, जिसके लिए एडीएम खान जेल में कैदी की तरह रहकर चरित्र में उतरना चाहते हैं। दरअसल, एडीएम नियाज इससे पूर्व 'अन्टोल्ड ऑफ माय आश्रम' उपन्यास को लेकर चर्चा में आ चुके हैं। इसमें एक ओर जहां ब्यूरोक्रेट्स, पॉलीटिशियन और बाबाओं के गठजोड़ के साथ एक काल्पनिक पीएमडी (पोटेंसी मेजरमेंट डिवाइस) मशीन को ईजाद कर ब्यूरोक्रेट्स के मलाईदार पदों पर पहुंचने का खुलासा किया था।
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वहीं लव डिमांड्स ब्लड एक्शन थ्रिलर में अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम का चरित्र सामने आने से फिर चर्चा में हैं। खासकर, पात्र को जीवंत बनाने के लिए एडीएम खान का तालोजा जेल में कैदी बनकर उपन्यास को पूरा करने की जिद है, जिसके लिए उन्होंने शासन से अनुमति भी मांगी है। हालांकि, अभी तक शासन स्तर पर अनुमति को लेकर किसी तरह की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन खान को भरोसा है कि न केवल उन्हें अनुमति मिलेगी, बल्कि उनका एक्शन थ्रिलर उपन्यास लोगों को पसंद भी आएगा क्योंकि, भारत में साहित्यकारों को अपनी बात कहने का जितना संवैधानिक अधिकार प्राप्त है, उतना किसी अन्य देश में नहीं है। अब तक एडीएम खान के पांच उपन्यास बाजार में आ चुके हैं।
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