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कर्ज लेकर भागने वालों पर कसेगी नकेल, डिफॉल्टरों की विदेशी संपत्तियां भी होंगी जब्त

इस कानून का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अगर वित्तीय मुसीबत में कोई कंपनी फंसती है तो उसे बंद करना आसान होगा।

By Atul GuptaEdited By: Published: Fri, 06 May 2016 12:08 AM (IST)Updated: Fri, 06 May 2016 07:28 AM (IST)
कर्ज लेकर भागने वालों पर कसेगी नकेल, डिफॉल्टरों की विदेशी संपत्तियां भी होंगी जब्त

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देशों के बैंकों से हजारों करोड़ रुपये लेकर उसे नहीं चुकाने वाले विजय माल्या जैसे ग्राहकों पर अब ज्यादा कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। सरकार ऐसे ग्राहकों की विदेशों में हासिल की गई परिसंपत्तियों को जब्त करने की भी मंशा रखती है। इस बारे में भारत सरकार दूसरे देशों के साथ बातचीत कर समझौता करने की योजना बना रही है।

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इस बात की जानकारी वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने लोकसभा में इंसॉलवेंसी व बैंकरप्सी कोड बिल पर जारी चर्चा का जबाव देते हुए दी। यह विधयेक बाद में लोकसभा से पारित कर दिया गया। माना जा रहा है कि देश में कारोबार की प्रक्रिया को आसान करने की दिशा में भी यह कानून काफी अहम साबित होगा।

इस विधेयक पर जारी चर्चा के दौरान यह सवाल उठा था कि क्या विदेशों में भी डिफॉल्टरों की संपत्ति को जब्त करने के लिए इससे मदद मिलेगी तो सिन्हा ने जबाब दिया कि यह काम तभी होगा जब दो देशों के बीच समझौता हो और उस देश को यह बताया जाए कि डिफॉल्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। सरकार इस तरह की मंशा रखती है। लेकिन इस कानून से यह मदद मिलेगी कि दूसरे देशों को यह भरोसा होगा कि भारत में एक पारदर्शी कानून है जो इस तरह के मामलों का निपटारा करता है। उन्होंने बताया कि सरकार ने कुछ देशों से इस संदर्भ में वार्ता हुई है और आगे अच्छी प्रगति की उम्मीद है।

सिन्हा ने बताया कि इस कानून का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अगर वित्तीय मुसीबत में कोई कंपनी फंसती है तो उसे बंद करना आसान होगा। अगर कंपनी दिवालिया होती है तो उसकी परिसंपत्तियों को जब्त करना और उसके बेचने की प्रक्रिया अब पूरी तरह से पारदर्शी हो जाएगी। संपत्ति बेचने से जो राशि प्राप्त होगी उस पर सबसे पहला अधिकार कर्मचारियों व श्रमिकों का होगा। उन्हें पहले भुगतान किया जाएगा। उसके बाद उन लोगों का नंबर आएगा जिन्होंने कंपनी को कर्ज दिया हुआ है।

एक तरह से कंपनियों के काम काज में भी पारदर्शिता आएगी और कंपनियों के मूल्यांकन भी ज्यादा साफ तरीके से होगा। इसके पीछे एक वजह यह है कि कंपनियों के हिसाब किताब में उन पर बकाये कर्ज का पूरा ब्यौरा होगा। कर्ज की राशि के बारे में कंपनियां कोई सूचना छिपा नहीं सकेंगी। कंपनियां अपने फंड का इस्तेमाल सही तरीके से कर रही हैं या नहीं इस पर नजर रखा जा सकेगा। उदाहरण के तौर पर कंपनियां जिस उद्देश्य से कर्ज लेती हैं उसका इस्तेमाल उसी कार्य में करना होगा। सनद रहे कि विजल माल्या पर एक मामला यह चल रहा है कि उन्होंने बैंकों से कर्ज ले कर उसका इस्तेमाल दूसरे उद्देश्यों से किया है।

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