Move to Jagran APP

लखनऊ के आशीष ने दी कलाम को सच्ची जैसा श्रंद्धाजलि

प्राथमिक विद्यालयों की दशा से हर कोई परिचित है। इसके बाद भी यहां नौनिहाल शिक्षा ले रहे हैं। लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय के आशीष ने इन सबके बीच भी मोबाइल की बैटरी से पंखा चलाकर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को सच्ची श्रंद्धाजलि दी है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2015 03:49 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2015 03:55 PM (IST)
लखनऊ के आशीष ने दी कलाम को सच्ची जैसा श्रंद्धाजलि

लखनऊ (विनय तिवारी)। प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों की दशा से हर कोई परिचित है। इसके बाद भी यहां नौनिहाल शिक्षा ले रहे हैं। राजधानी लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र के एक विद्यालय के आशीष ने इन सबके बीच भी मोबाइल की बैटरी से पंखा चलाकर देश के 11वें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को आज सच्ची श्रंद्धाजलि दी है।

loksabha election banner

प्रदेश के प्रथमिक स्कूलों में बिजली देने को लेकर विभाग जरा भी ध्यान नहीं दे रहा है। कमरे में अंधेरा और भयंकर गर्मी के बीच भी नौनिहाल शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। लखनऊ में प्राथमिक विद्यालय अम्बेडकर नगर क्षेत्र जोन के एक प्राथमिक विद्यालय में कक्षा चार के छात्र आशीष ने घर में बेकार पड़ी चीजों से एक पंखा बनाकर अपने साथियों के साथ शिक्षकों को भी बड़ी राहत दी है। आठ वर्ष आशीष ने बैटरी चलित पंखा बनाने के बाद उसको कक्षा में लगा दिया है। जिससे छात्र-छात्राओं को इस उमस भरी गर्मी से कुछ राहत मिल रही है। यहां छह घंटे तक पढऩे वाले बच्चों को काफी गर्मी झेलनी पड़ती है। जिससे बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल आने से कतराने लगे हैं। जो आते हैं अधिकांश समय कक्षा के बाहर हवा लेते देखे जाते हैं।

ऐसे में आशीष ने अपने घर में खराब पड़े काफी सामान को एकत्र कर एक बैटरी चलित पंखा बनाया है। इसको उसने अपनी क्लास में लगा दिया है। अब आशीष तथा उसके साथ छोटे से पंखे से कक्षा में ही हवा लेते हैं। अब इनके साथ पढऩे वाले अन्य बच्चे भी क्लास में बैठकर पढ़ते हैं और पंखा की वहा खाते हैं।

अपनी खोज से उत्साहित आशीष ने कहा कि मैं चाहता हुं की इसी तरह एक-एक करके सारे कक्ष में पंखा लगा दूं। जिससे हमारे और साथी गढ़ सहित शिक्षक भी कुछ तो गर्मी में आराम पायें।

इस तरह बनाया पंखा

आशीष ने खराब पड़े प्लस्टिक के एक टिफिन के ढक्कन को काट कर पंखे के पर बनाये। इसके बाद एक खराब पड़े खिलौने से मोटर को निकलकर उसके ऊपर पर को चिपका दिया। इसके बाद मोबाइल की बैटरी से इसको कनेक्ट कर दिया। पंखे के स्टैण्ड के लिये उसने लोहे की छड़ लगा कर स्थिर किया और नीचे मिट्टी का स्टैण्ड लगाकर इस पंखे को सहारा देकर चलाया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.