दिल्ली में चुनाव बाद अब जनमत संग्रह, मिली साढ़े तीन लाख राय
दिल्ली में अधूरे बहुमत के बावजूद अपनी सरकार बनाने से पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल यह तस्दीक कर लेना चाहते हैं कि सूबे की जनता उनकी नीयत पर कोई शक न करे। शायद यही वजह है कि महज पांच दिन के भीतर 25 लाख चिट्ठियों को राजधानी की जनता तक पहुंचाकर उसका जवाब हासिल करने का भगीरथ प्रयास कि
नई दिल्ली, [आशुतोष झा]। दिल्ली में अधूरे बहुमत के बावजूद अपनी सरकार बनाने से पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल यह तस्दीक कर लेना चाहते हैं कि सूबे की जनता उनकी नीयत पर कोई शक न करे। शायद यही वजह है कि महज पांच दिन के भीतर 25 लाख चिट्ठियों को राजधानी की जनता तक पहुंचाकर उसका जवाब हासिल करने का भगीरथ प्रयास किया जा रहा है। राजधानी में विधानसभा चुनाव के दौरान कुल मिलाकर जितनी सभाएं नहीं हुई होंगी, उतनी आने वाले पांच दिनों में हो जाएंगी। बताने की जरूरत नहीं है कि इस पूरे सप्ताह दिल्ली का सियासी पारा चढ़ा रहेगा।
भाजपा द्वारा सरकार बनाने से इन्कार करने और कांग्रेस द्वारा आम आदमी पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने के बाद अरविंद केजरीवाल से यह सवाल पूछा जाने लगा है कि अब आखिर अब वह सरकार बनाने से पीछे क्यों हट रहे हैं। अपने जवाब में कांग्रेस व भाजपा दोनों दलों पर हमलावर दिख रहे केजरीवाल बार-बार कह रहे हैं यह दोनों दल असल में सियासत करना चाहते हैं, इनका मकसद समर्थन देना कतई नहीं है। लेकिन मंगलवार को उन्होंने सीधे जनता से संवाद करने का फैसला कर यह संकेत जरूर दिए हैं कि अब सरकार बनाने का दबाव उनपर बहुत ज्यादा बढ़ गया है और वे लंबे समय तक कठघरे में खड़े नहीं रह सकते हैं।
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सरकार बनाने की संभावना तलाशने की कड़ी में मंगलवार का दिन आम आदमी पार्टी के लिए अहम रहा। सुबह गाजियाबाद (कौशांबी) स्थित पार्टी कार्यालय में केजरीवाल की अध्यक्षता में पार्टी की संसदीय मामलों की समिति की बैठक हुई तो दोपहर में विधायक दल की बैठक। जिसमें सर्वसम्मति से चुनाव बाद कांग्रेस व भाजपा का रुख देख पार्टी द्वारा जनमत संग्रह कराने का निर्णय लिया गया। जनमत संग्रह कराने का जो रास्ता चुना है, इसके लिए इंतजाम भी शाम में कुछ मिनटों में कर लिए गए। दिल्ली की जनता अपनी राय पार्टी की वेबसाइट या फेसबुक पेज के जरिये भी दे सकती है। पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने मोबाइल फोन नंबर 08806110335 पर एसएमएस के जरिए भी हां या ना में जवाब देने की अपील की, और इसकी सूचना भी पार्टी ने अपने वेबसाइट पर अपडेट कर दी है। पार्टी नेता कहते हैं चुनाव के बाद जनता ने सरकारी व्यवस्था के बीच अपना वोट दिया। कांग्रेस व भाजपा के चलते पार्टी की जो मौजूदा हालत है, उसमें जनमत संग्रह दिल्ली वालों की राय जानने का एकमात्र विकल्प है। जनमत संग्रह के लिए रविवार तक का समय तय किया गया है। बुधवार से रविवार तक महज पांच दिन चिट्ठी बांटने, वेबसाइट पर मिल रही जानकारी की रिपोर्ट तैयार करने के लिए बचा है। ऐसे में राजनीति के जानकार बताते हैं यह किसी चुनौती से कम नहीं है।
50 फीसद की हां पर सरकार
* सरकार तभी बनाई जाएगी जब जनमत संग्रह में 50 फीसद से अधिक लोग सहमति जताएंगे।
* पार्टी द्वारा तैयार 25 लाख चिट्ठी को सभी 70 विधानसभा में बांटा जाएगा।
* 25 लाख चिट्ठी बुधवार शाम तक प्रिंट होकर प्रत्येक प्रत्याशी के पास पहुंचने की बात कही गई है।
* पार्टी कार्यकर्ता दिनभर अपने-अपने क्षेत्र में केजरीवाल की चिट्ठी बांटेंगे।
* एक विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले चार निगम वार्डो में अलग-अलग जनसभा कर पार्टी के प्रत्याशी जनता से सीधा संवाद करेंगे और उनकी राय जानेंगे।
* जनसभा की रिपोर्ट पार्टी द्वारा नियुक्त किए गए केंद्रीय पर्यवेक्षक पार्टी की संसदीय मामलों की समिति को देंगे।
* रविवार रात प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर सरकार गठन को लेकर दावा करने पर विचार किया जाएगा।
साढ़े तीन लाख लोगों ने दी राय
आप की रायशुमारी की इस मुहिम के शुरुआती चार घंटे में करीब साढ़े तीन लाख लोगों ने अपनी राय दी है। ये राय एसएमएस, फेसबुक और फोन के जरिए दी गई है।
सरकार गठन में देरी से नाराज लोगों ने किया प्रदर्शन
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद अब राजनीतिक दलों के बीच सरकार बनाने को लेकर पहले आप, पहले आप के खेल से आम लोगों में खासी नाराजगी है। सरकार गठन में हो रही देरी से नाराज लोगों ने मंगलवार को जंतर-मंतर पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि दोबारा चुनाव होने पर आम लोगों को महंगाई की मार झेलनी होगी। लोगों ने जल्द सरकार गठित नहीं होने पर भूख हड़ताल शुरू करने की धमकी दी है।
प्रदर्शन में शामिल मोहम्मद बाबुदीन ने बताया कि चुनावों के बाद से ही नई नवेली आम आदमी पार्टी समेत सभी राजनीतिक दल सरकार बनाने से परहेज कर रहे हैं। इससे आम लोगों में काफी रोष है। यदि दोबारा चुनाव होता है तो इसका खर्च जनता से ही वसूला जाएगा। प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग थी कि राजनीतिक दल अपना स्वार्थ छोड़कर सरकार का गठन करें। देश में पहले कभी भी ऐसी परिस्थिति बनते नहीं देखी गई है। जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने पर दिल्ली की जनता को इन नेताओं को सबक सिखाना चाहिए।
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