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दिल्ली में जंग जारी, एसीबी में होंगे बाहरी अधिकारी

दिल्ली में हुकूमत पर हक को लेकर उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच जारी टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। अब दिल्ली सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) में बिहार के छह अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है, जबकि उपराज्यपाल ने इन नियुक्तियों पर अपनी

By Sumit KumarEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2015 12:41 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2015 01:11 AM (IST)
दिल्ली में जंग जारी, एसीबी में होंगे बाहरी अधिकारी

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में हुकूमत पर हक को लेकर उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच जारी टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। अब दिल्ली सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) में बिहार के छह अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है, जबकि उपराज्यपाल ने इन नियुक्तियों पर अपनी अनभिज्ञता जता कर इनकी वैधता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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राजनिवास ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा है कि चूंकि एसीबी एक पुलिस स्टेशन है, जिसका एक सीमित दायरा है। लिहाजा वह उपराज्यपाल के नियंत्रण व निगरानी में काम करती है। उपराज्यपाल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एसीबी में दिल्ली पुलिस से बाहर के अधिकारियों को डेपुटेशन (प्रतिनियुक्ति) पर लेने संबंधी कोई भी प्रस्ताव उनके समक्ष नहीं है। जब भी ऐसा कोई प्रस्ताव सामने आएगा तो उस पर विचार किया जाएगा।

दिल्ली सरकार को अधिकार : सिसोदिया
वहीं, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बिहार के अधिकारियों की नियुक्ति को सही ठहराते हुए कहा है कि दिल्ली सरकार और एसीबी को देश में कहीं से भी अधिकारियों की नियुक्ति करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हर मुद्दे को मजाक बना दिया है।

वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने कहा कि एसीबी के मजबूत होने से उनको डर लग रहा है जो भ्रष्ट हैं। पार्टी प्रवक्ता संजय सिंह ने भी सवालिया लहजे में कहा कि बिहार के अधिकारियों की एसीबी में नियुक्ति करना कोई अपराध तो नहीं है।

और राज्यों से मांगे अफसर
एसीबी में बिहार पुलिस के एक पुलिस उपाधीक्षक, तीन इंस्पेक्टर तथा दो सब इंस्पेक्टरों को तैनात किया गया है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से भी अधिकारी मांगे हैं। उच्चपदस्थ सूत्रों ने कहा कि एसीबी में पहले से केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस तथा अंडमान पुलिस के अधिकारी काम कर रहे हैं।

ऐसे में बाहर से अधिकारियों को नियुक्त करने में किसी परेशानी का कोई सवाल ही नहीं है। कुल 40 अधिकारियों को एसीबी में नियुक्त किया जाना है। दिल्ली पुलिस के पास अधिकारियों का टोटा है, ऐसे में एक ही चारा है कि बाहर से अधिकारी बुलाए जाएं।

केंद्र उपराज्यपाल के साथ
एसीबी में दूसरे राज्यों के अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर लाने के ताजा विवाद में केंद्र सरकार उपराज्यपाल के साथ है। गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि एसीबी दिल्ली पुलिस की एक इकाई है और इसमें नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल की अनुमति अनिवार्य है। बिना उपराज्यपाल की मंजूरी लिए की गई ऐसी नियुक्तियां कानूनन अवैध मानी जाएगी।

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 21 मई की अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि संविधान में दिल्ली पुलिस को सीधे तौर केंद्र सरकार के अधीन रखने की व्यवस्था की गई है। यदि केजरीवाल सरकार उपराज्यपाल के मर्जी के खिलाफ नियुक्ति पर अड़ जाती है, तो भविष्य में कई तरह की कानूनी मुश्किलें खड़ी हो सकती है। प्रतिनियुक्ति पर आए ऐसे अधिकारियों द्वारा की गई जांच को कोई भी अदालत में चुनौती दे सकता है।

बिहार से आए अधिकारियों को नहीं मिला काम
बिहार पुलिस के इतिहास में यह पहला मौका है जब यहां के निचले स्तर के पुलिस अधिकारियों की सेवाएं प्रतिनियुक्ति के आधार पर किसी अन्य राज्य को सौंपी गई हैं। अरवल के डीएसपी संजय भारती को छोड़कर अन्य अधिकारियों ने एसीबी में अपना पदभार संभाल लिया है। लेकिन इन पांचों अधिकारियों को अभी किसी तरह का काम नहीं सौंपा गया है। फोन वार्ता पर एक अधिकारी ने बताया कि वे फिलहाल पुलिस लाइन में अपना योगदान देने के बाद काम मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

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