ईवीएम पर नहीं है विश्वास तो क्या आप के पार्षद नहीं लेंगे जीत का सर्टिफिकेट?
दिल्ली की स्थानीय चुनाव में आम आदमी पार्टी की हुई करारी हार के बाद अब कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली के स्थानीय चुनाव पर पूरे देश की नजर थी। भाजपा की जीत को आप आदमी पार्टी की ओर से ईवीएम लहर बताया जा रहा है। शायद ऐसा करके आप पार्टी हार की जिम्मेदारी लेने से बच रही है। लेकिन हकीकत यह है कि ऐसा ही सवाल आप की ओर से पंजाब और गोवा के विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी उठाया गया था। लेकिन इस मुद्दे पर उनको जनता का साथ नहीं मिला। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर दिल्ली एमसीडी चुनाव में ईवीएम लहर थी तो क्या आप पार्टी के जीते पार्षद जीत का सर्टिफिकेट नहीं लेगें। यह पूछने पर आप नेता जवाब नहीं दे पा रहे. पार्टी प्रवक्ता आशुतोष ने कहा कि इस पर विचार नहीं हुआ है.
पिछले सालों में दिल्ली की राजनीति के नए प्रयोग का वो केंद्र रहा है जहां आंदोलन से एक पार्टी उभरती है। हालांकि एमसीडी चुनाव में उसे भाजपा के हाथों करारी शिकस्त होने के कई गहरे मतलब भी निकाले जा रहे हैं। दरअसल AAP की ईवीएम पर ठीकरा फोड़ने की रणनीति को लेकर पार्टी के अंदर से भी सवाल उठने लगे हैं।
पंजाब चुनाव के बाद भगवंत मान ने कहा था कि ईवीएम पर सवाल उठाना सही नहीं होगा। बेहतर होगा की चुनावी हार का आत्ममंथन किया जाएं। भगवंत मान ने कहा कि पंजाब चुनाव में पार्टी रणनीतिक तौर पर भी कई जगह मात खा गयी। जिस तरह से आप पार्टी के नेताओं के बयान आ रहे हैं। ऐसे में शायद आप पार्टी राजनीतिक मझदार में खड़ी है, जहां से वो यह तय नहीं कर पा रही है कि उसे हार स्वीकार कर नई रणनीति पर काम करना चाहिए, या फिर हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़कर अपनी मजबूत जनाशक्ति पर भरोसा किया जाए।
आप की इस राजनीति कशमकश की वजह से पार्टी बिखराव की राह में खड़ी है। ऐसे में आम आदमी पार्टी के बड़े नेता पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं। शायद पार्टी को इसका अंदाजा भी है, इसी वजह से AAP की ओर से केंद्र सरकार पर संवैधानिक अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाया जा रहा है। इसके लिए पार्टी की ओर से अरुणाचल प्रदेश को बतौर उदाहरण पेश किया जा रहा है।
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