दो फाड़ होने की कगार पर आप
देश बदलने की दलील देकर ढाई साल पहले गठित की गई आम आदमी पार्टी (आप) दो फाड़ होने की कगार पर है। वर्चस्व की लड़ाई निर्णायक मोड़ पर है।
नई दिल्ली । देश बदलने की दलील देकर ढाई साल पहले गठित की गई आम आदमी पार्टी (आप) दो फाड़ होने की कगार पर है। वर्चस्व की लड़ाई निर्णायक मोड़ पर है। पार्टी संस्थापकों में शामिल प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव को राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से निकाले जाने के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। हालांकि, योगेंद्र यादव ने ट्वीट कर अपने व प्रशांत भूषण के इस्तीफे की बात को झूठ करार देते हुए चुनौती दी है कि यदि किसी के पास इस्तीफे की प्रति है तो उसे सार्वजनिक करे।
यादव ने इस दावे को भी हास्यास्पद बताया कि उन्होंने और भूषण ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा देने के लिए केजरीवाल को पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक पद से हटाने का कोई प्रस्ताव रखा था। मुख्यमंत्री और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास पर गुरुवार को पीएसी की बैठक हुई। बैठक की जानकारी देते हुए कुमार विश्वास व आशीष खेतान ने बताया कि 17 मार्च को प्रशांत और योगेंद्र यादव ने पांच शर्तो के साथ इस्तीफे की पेशकश की थी। शर्तों को मानते हुए पीएसी ने दोनों का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया है। केजरीवाल के संयोजक पद पर बने रहने या हटने का फैसला 28 मार्च को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में होगा।
सुलह की भी हो रही थी कोशिश
सूत्रों का कहना है कि पीएसी से भूषण और यादव को बाहर किए जाने के बाद से ही बीच-बचाव का रास्ता भी तलाशा जा रहा था। कुछ नेता दोनों पक्षों के बीच सुलह कराने की कोशिश में जुटे थे। इसी क्रम में 17 मार्च को यादव व भूषण की ओर से पांच शर्ते रखी गई और कहा गया कि यदि इन्हें मान लिया जाता है तो वे राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी इस्तीफा दे देंगे। इनमें पार्टी को आरटीआइ के दायरे में लाने, चंदे के फर्जी चेक की जांच कराने, दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान एक उम्मीदवार के घर पर शराब पकड़े जाने संबंधी मामले की जांच, राष्ट्रपति शासन के दौरान कांग्रेस में तोड़फोड़ कराने की साजिश की जांच और दिल्ली के कानून मंत्री की फर्जी डिग्री के मामले की जांच की शर्त शामिल थी। पीएसी की बैठक के बाद खेतान ने यादव व भूषण की इसी ईमेल के आधार पर घोषणा कर दी कि दोनों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। हालांकि इस ईमेल में कहीं भी दोनों नेताओं ने इस्तीफा देने की बात नहीं लिखी है। उन्होंने इस्तीफे की महज पेशकश की है। खेतान और कुमार विश्वास ने आरोप भी लगाया कि दोनों नेता बातचीत के दौरान बंद कमरे में कुछ और कहते हैं जबकि बाहर कुछ और बोलते हैं।
''प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव से चल रही बातचीत बेनतीजा रही है। दोनों नेता केजरीवाल को पार्टी के संयोजक पद से हटाने के लिए लगातार दबाव बना रहे थे।''
-उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का ट्वीट
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