भारत की सैन्य ताकत से पाकिस्तान में खलबली, रिपोर्ट में खुलासा
भारत की बढ़ती सैन्य ताकत से पाकिस्तान परेशान है। मोदी के पीएम बनने के बाद उसे उम्मीद थी कि वे रिश्ते सुधारने को लेकर नवाज शरीफ से कोई ऐतिहासिक समझौता करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद से पाकिस्तानी फौज और परेशान है।
लंदन। भारत की बढ़ती सैन्य ताकत से पाकिस्तान परेशान है। मोदी के पीएम बनने के बाद उसे उम्मीद थी कि वे रिश्ते सुधारने को लेकर नवाज शरीफ से कोई ऐतिहासिक फैसला करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद से पाकिस्तानी फौज और परेशान है।
रिपोर्ट में दावा
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटजिक स्टडीज (IISS) की एनुअल रिपोर्ट ‘मिलिट्री बैलेंस 2016’ जारी हुई। इसमें आइआइएसएस के सीनियर एक्सपर्ट बेन बैरी ने भारत-पाक रिश्तों पर गहराई से रोशनी डाली है। बैरी भारत-पाक मिलिट्री-स्ट्रैटजिक रिलेशंस पर लंबे समय से काम कर रहे हैं। वे ब्रिटिश आर्मी में ब्रिगेडियर रहे हैं।
बैरी के मुताबिक नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने पर इस्लामाबाद में काफी उत्साह का माहौल था। पाकिस्तान सरकार और दूसरे लोगों को लगता था कि मोदी के सत्ता संभालते ही दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधरेंगे और तनाव कम होगा। जब इस दिशा में कुछ नहीं हुआ तो पाकिस्तान को निराशा हुई। पाकिस्तान, भारत की पारंपरिक आर्मी में मॉडर्नाइजेशन पर नजर रखे हुए है। भारत की फौज में अपाचे हेलिकॉप्टर, सी-130 एयरक्राफ्ट और टी-90 टैंक जैसे एडवान्स्ड हथियारों को शामिल करना पाकिस्तान की परेशानी की वजह है। यही नहीं, इस्लामाबाद भारत-यूएस न्यूक्लियर डील पर भी नजर रखे हुए है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात की संभावना कम नजर आती है कि पाक अपने यहां मौजूद आतंकी गुटों पर कार्यवाही करेगा। पाक आर्मी चीफ जनरल राहिल शरीफ ने 2014 में पेशावर के स्कूल में आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब चलाया था। इसका मकसद नॉर्थ वजीरिस्तान से आतंकियों का सफाया करना था।
इसमें दो राय नहीं कि पाक आर्मी और पुलिस ने आतंकी गुटों और उनकी ताकत को काफी कम कर दिया है। पाकिस्तानी सेना ने अगस्त के आखिर में अपने मुल्क की पार्लियामेंट्री कमेटी के सामने कहा था कि उसके लिए देश के बाहर भारत के अलावा कोई और खतरा नहीं है। पाकिस्तानी आर्मी लगातार भारत की हथियारों की खरीददारी से भी परेशान नजर आ रही है।
भारत हथियारों की खरीद में सबसे आगे
भारत ने पिछले कुछ सालों में 6,31,700 करोड़ रुपए (100 बिलियन USD) के हथियार खरीदे हैं। पाकिस्तान के एक अंग्रेजी अखबार मुताबिक, भारत ने 80 फीसद हथियार पाकिस्तान को निशाना बनाने के लिए खरीदा है। पाकिस्तान की सेना का कहना है कि भारतीय फौज खरीददारी की होड़में ऐसा कर रही है। गौरतलब है कि भारत आर्म्स इम्पोर्ट के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है।
भारत का रक्षा बजट पाकिस्तान से तीन गुना ज्यादा
पिछले 10 साल में भारत ने अपनी सेना पर खर्च को भी दोगुना कर दिया है। इस साल भारत ने डिफेंस बजट 2.46 लाख करोड़ रुपए (40.07 बिलियन USD) रखा है। यह पाकिस्तान से तीन गुना ज्यादा है। पाकिस्तान का डिफेंस बजट 78 हजार करोड़ रुपए है। भारत के पास नेवी वॉरशिप और टैंक भी पाकिस्तान से करीब-करीब तीन गुना ज्यादा हैं। पाकिस्तान ने 1947 के संघर्ष, 1965 और 1971 की जंग और 1999 में कारगिल वॉर में भारत से करारी हार का सामना किया है। पाकिस्तान जानता है कि वह जंग में कभी भी भारत से नहीं जीत सकता।
रिपोर्ट में मोदी सरकार को सलाह
‘मिलिट्री बैलेंस 2016’ के मुताबिक मोदी को डिफेंस सेक्टर में एफडीआई और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी की परमीशन देनी चाहिए।यही नहीं भारत की सिक्युरिटी फोर्सेस और एसेट्स की लिस्टिंग होना चाहिए।सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पॉलिसी का मकसद देश के डिफेंस-इंडस्ट्रियल बेस को एफडीआई के जरिए और मजबूत बनाना है लेकिन ब्यूरोक्रेसी और कुछ रूल्स के चलते वादे पूरे करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। भारत को अपनी ताकत बढ़ाने के लिए रूस, चीन, ईरान और नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन) से बेहतर रिलेशन बनाने की जरूरत है ताकि मिलिट्री कैपेबिलिटीज के साथ टेक्नोलॉजी भी बेस्ट हो सके।