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बापू को तीन गोलियां लगीं थीं या चार, फिर जांच को PIL दायर

मुंबई हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में महात्‍मा गांधी की हत्या की जांच फिर से कराए जाने की मांग की गई, लेकिन इस याचिका को खारिज कर दिया गया।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 26 Jul 2016 03:40 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2016 10:04 PM (IST)
बापू को तीन गोलियां लगीं थीं या चार, फिर जांच को PIL दायर

मुंबई (ओमप्रकाश तिवारी)। महात्मा गांधी की हत्या का मुद्दा भारतवासियों के लिए बड़ा संवेदनशील है। लेकिन इससे जुड़े कई तथ्य अभी भी रहस्य बने हुए हैं। इन्हीं में से एक है उन्हें लगी गोलियों की संख्या। इसकी जांच की मांग करती एक जनहित याचिका मुंबई उच्च न्यायालय हाल ही में खारिज कर चुका है। मुंबई निवासी पंकज फड़नीस ने इसी साल छह जून को मुंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर गांधी हत्या की जांच फिर से कराए जाने की मांग की है, जिसे फिर से खारिज कर दिया गया।

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इसमें उन्होंने कई तथ्य पेश करते हुए उच्च न्यायालय को यह बताने की कोशिश की कि महात्मा गांधी को तीन नहीं बल्कि चार गोलियां मारी गई थीं। अभिनव भारत संस्था में मुंबई के ट्रस्टी फड़नीस ने अपनी जनहित याचिका में यह आशंका भी जताई कि बापू को गोली मारने वाला नाथूराम गोडसे अकेला व्यक्ति नहीं था। बल्कि वहां उन पर गोली चलाने वाला कोई और व्यक्ति भी मौजूद था। बता दें कि महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी, 1948 की शाम 5.12 बजे दिल्ली स्थित बिड़ला हाउस के बाहर बेरेटा एम.1934 सेमी ऑटोमैटिक पिस्तौल से गोली मार दी थी।

हालांकि गांधी की हत्या के मुकदमे में गोडसे के तीन गोलियां चलाने का ही जिक्र किया गया है। लेकिन पंकज फड़नीस कई नए तथ्य रखते हुए गांधी पर चार गोलियां चलाए जाने की बात सिद्ध करना चाहते हैं। उनका कहना है कि अगले दिन पाकिस्तान के अखबार डॉन में चार गोलियां चलने का जिक्र है। भारत से प्रकाशित होने वाले प्रमुख अंग्रेजी अखबार द हिंदू में छपी महात्मा गांधी की तस्वीर में भी उन्हें चार गोलियां लगी दिखाई दे रही हैं। यह तस्वीर सरकारी एजेंसी पीआइबी ने जारी की थी।

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मराठी दैनिक लोकसत्ता एवं अंग्रेजी दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया में भी चार गोलियां लगने की ही खबर प्रकाशित हुई थी।यही नहीं महात्मा गांधी की हत्या के समय वहां मौजूद चश्मदीद गवाहों ने भी चार गोलियों की आवाजें सुनने की बात कही है। इनमें दो प्रमुख गवाह थे केसी राय एवं अमेरिकी रिपोर्टर विंसेंट शीन। फड़नीस के अनुसार विंसेंट शीन की गवाही तो आज भी बिड़ला हाउस में पैनल पर मढ़वाकर लगी हुई है। इसमें चार गोलियों की बात कही गई है। इसके अलावा 19 फरवरी,1948 को तत्कालीन सोवियत संघ में भारत की राजदूत रहीं विजय लक्ष्मी पंडित की ओर से आयोजित आधिकारिक शोकसभा में आए कई देशों के राजदूतों ने उन्हें बताया था कि महात्मा गांधी की हत्या अंग्रेजों ने कराई थी।

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