खराब किडनी की तरह सिर भी बदला जाएगा, इसी साल होगा पहला ऑपरेशन
आप शायद हैरान होंगे लेकिन डॉक्टरों अब हेड ट्रांसप्लांट (सिर का प्रत्यारोपण) करने की तरफ आगे बढ़ चुके हैं।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। किडनी, दिल, लीवर, फेफड़े, पैंक्रियाज, आंत जैसे मानव शरीर के कई अंदरूनी अंगों के प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) में दुनियाभर के डॉक्टरों को सफलता मिल चुकी है। पिछले पुणे के वैज्ञानिकों ने 21 वर्षीय एक युवती का गर्भाशय प्रत्यारोपण का ऑपरेशन किया। अच्छी और खुशी की बात यह है कि यह ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा है। किसी भी अंग के प्रत्यारोपण की जटिलताओं को भले ही आम लोग न समझते हों, लेकिन उन्हें भी पता होता है कि यह काम कितना मुश्किल है। आप शायद हैरान होंगे लेकिन डॉक्टरों अब हेड ट्रांसप्लांट (सिर का प्रत्यारोपण) करने की तरफ आगे बढ़ चुके हैं।
पुणे में सफल गर्भाशय ट्रांसप्लांट
महाराष्ट्र के पुणे में डॉक्टरों ने 21 वर्षीय एक युवती का गर्भाशय प्रत्यारोपण का सफल ऑपरेशन किया। इस काम में डॉक्टरों को नौ घंटे का समय लगा। यहां के गैलेक्सी केयर लैप्रोस्कोपी इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने गुरुवार 18 मई को यह सर्जरी की। महाराष्ट्र के ही कोल्हापुर की रहने वाली युवती के शरीर में जन्म से ही गर्भाशय नहीं था।
सरकार की मंजूरी से हुआ ऑपरेशन
महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य निदेशालय की मंजूरी के बाद गर्भाशय प्रत्यारोपण का यह ऑपरेशन किया गया। इसके लिए युवती को उसकी 45 वर्षीय मां ने गर्भाशय दान किया। इस ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाले आंकोसर्जन डॉ. शैलेश पुतांबेकर ने बताया, 'आपरेशन सफल रहा। अगले 48 घंटे महत्वपूर्ण हैं और मरीज को निगरानी में रखा गया है।' सफल ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने कहा कि अब युवती को मासिक स्राव भी होगा और वह गर्भधारण भी कर सकेगी।
गर्भाशय प्रत्यारोपण का इतिहास क्या है?
दुनिया का पहला गर्भाशय प्रत्यारोपण चार साल पहले 2013 में यूरोपीय देश स्वीडन में हुआ था। स्वीडन में 36 वर्षीय महिला का सफल ऑपरेशन किया गया था। उस महिला का जन्म भी बिना गर्भाशय के हुआ था। महिला को उसकी 60 वर्षीय दोस्त ने गर्भाशय दान किया था। ऑपरेशन के कुछ समय बाद महिला ने गर्भ धारण किया था और बेटे को जन्म दिया था। दुनियाभर में गर्भाशय प्रत्यारोपण के ऐसे करीब दो दर्जन ऑपरेशन किए जा चुके हैं, इस सूची में अब भारत भी शामिल हो गया है।
हेड ट्रांसप्लांट की तैयारी में डॉक्टर
तकनीक और डॉक्टरों का आत्मविश्वास किस स्तर पर होगा इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि डॉक्टर अब इंसान के सिर के प्रत्यारोपण की योजना बना रहे हैं। इस योजना पर काम कर रहे इटली के न्यूरोसर्जन डॉ सर्जियो कैनावेरो की टीम ने चूहे के सिर का सफल प्रत्यारोपण किया है। इस प्रक्रिया में तीन चूहे शामिल किए गए। इस ऑपरेशन के जरिये छोटे चूहे का सिर काटकर बड़े चूहे के सिर के ऊपर लगाया गया। बता दें कि सर्जियो इस साल के अंत तक पहला इंसानी सिर प्रत्यारोपण करने की भी घोषणा कर चुके हैं। उनके अनुसार इंसान का सिर प्रत्यारोपण करने के लिए यह शोध अहम भूमिका निभाएगा। यह शोध सीएनएस न्यूरोसाइंस एंड थेराप्यूटिक्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
तीन चूहे किए गए शामिल डॉ सर्जियो ने यह शोध चीन की हार्बिन मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के साथ किया है। शोध में तीन चूहे शामिल किए गए। इनमें डोनर यानी सिर देने वाला छोटा चूहा, रेसिपियंट यानी सिर लेने वाला बड़ा चूहा और ब्लड डोनर यानी ऑपरेशन के वक्त डोनर के मस्तिष्क में खून का आवश्यक प्रवाह बनाए रखने के लिए खून देने वाला तीसरा चूहा शामिल हैं। ब्लड डोनर की रक्त धमनियों को डोनर चूहे के सिर की रक्त धमनियों से सिलिकॉन ट्यूब के जरिये जोड़ा गया। फिर पेरिस्टाल्टिक पंप के जरिये खून प्रवाहित किया गया।
डेढ़ दिन जिंदा रहा दो सिर वाला चूहा
ऑपरेशन के बाद दो सिर वाला चूहा 36 घंटे तक जीवित रहा। शोध के नतीजे भी सकारात्मक रहे। पेरिस्टाल्टिक पंप और वैस्कुलर ग्राफ्टिंग के कारण दोनों ही चूहों के मस्तिष्क की कोशिकाएं सुरक्षित रहीं। इससे शरीर से खून की बर्बादी नहीं हुई। दोनों के शरीर में हरकत दिखती रही।
अंग दान पर भारत में कानूनी स्थिति क्या है?
कानून के तहत अंग प्रत्यारोपण और दान की अनुमति दी जाती है। भारत सरकार ने साल 2011 में मानव अंग प्रत्यारोपण (संशोधन) अधिनियम पारित किया था। इसमें मानव अंग दान के लिए प्रक्रिया को आसान बनाने के प्रावधान किए गए। इन प्रावधानों में रिट्रिवल सेंटर और मृतक दानकर्ताओं से अंगों के रिट्रिवल के लिए उनका पंजीकरण, स्वैप डोनेशन और आईसीयू में भर्ती संभावित दानकर्ता के निकट संबंधियों से सहमति प्राप्त करने के लिए प्रत्यारोपण समन्वयकर्ता (यदि उपलब्ध हो) की सलाह से अस्पताल के पंजीकृत मेडिकल प्रेक्टिशनर द्वारा अनिवार्य जांच करना और यदि उनकी सहमति हो तो अंगों के रिट्रिवल के लिए रिट्रिवल सेंटर को सूचित करना शामिल है। मानव अंगों और टिशुओं के प्रत्यारोपण के बारे में प्रस्तावित नियम, 2013 के अंतर्गत अनेक ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिनसे अंग दान के मार्ग की बाधाएं दूर हो सकती हैं। इन नियमों में यह ध्यान भी रखा गया है कि उनका दुरुपयोग न होने पाए और उनकी गलत व्याख्या न की जा सके।
अंग दान के मामले में बाकी देशों से काफी पीछे हैं हम
ऐसा भी नहीं है कि लोग अंगदान नहीं करना चाहते। लेकिन देश के अस्पतालों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे ब्रेन डेथ की पहचान करके उन्हें प्रमाणित किया जा सके। इसके अलावा मस्तिष्क मृत्यु वाले व्यक्ति के संबंधियों को कोई यह अधिकार प्रदान नहीं करता कि वे उसके अंग दान कर सकें। बच्चे से लेकर बड़े व्यक्ति तक कोई भी अंग दान कर सकता है। मस्तिष्क मृत्यु से अंग दान, जिसे शव संबंधी अंग दान भी कहा जाता है, के मामले भारत में अपेक्षाकृत बहुत कम हैं। स्पेन में प्रति दस लाख आबादी पर 35 व्यक्ति अंग दान करते हैं, ब्रिटेन में ऐसे व्यक्तियों की संख्या 27, अमेरिका में 26 और ऑस्ट्रेलिया में 11 है, जबकि भारत में प्रति दस लाख आबादी पर मात्र 0.16 व्यक्ति अंग दान करते हैं।
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