जिहादियों के चक्रव्यूह पर भारी पड़ी मां की ममता
इरशाद खान के रंग रूप ही नहीं उनके पूरे घर का माहौल बदला हुआ था। कल तक बिस्तर से उठने को लाचार नजर आने वाले इरशाद कई बार घर के पास मस्जिद में नमाज ए शुक्राना अदा करने गए।
नवीन नवाज, अनंतनाग : सात दिन से पसरा मातम शुक्रवार को जब दूर हुआ तो ईद की खुशियां भी फीकी पड़ गई। धर्माध जिहादियों के चक्रव्यूह को मां की ममता ने तोड़ दिया। माजिद इरशाद एक बार फिर मोहब्बत, इल्म से रोशन मुस्तकबिल की तरफ लौट आया। कल तक जो बहनें आंखों में आंसू रोक मां को दिलासा दे रही थी, आज चहक रही थीं। मां-बाप जो कल तक अपने लिए मौत मांग रहे थे, सारे शिकवे भूल बार बार-बार कह रहे थे कि खुदा ने हमें एक नई जिंदगी बख्श दी है।
इरशाद खान (माजिद के पिता) के रंग रूप ही नहीं उनके पूरे घर का माहौल बदला हुआ था। कल तक बिस्तर से उठने को लाचार नजर आने वाले इरशाद कई बार घर के पास मस्जिद में नमाज ए शुक्राना अदा करने गए। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि बेटा माजिद जो बीते सप्ताह तक अनंतनाग और उसके सटे इलाकों में फुटबॉल का उभरता सितारा और एक समाजसेवी माना जाता था, लश्कर का पोस्टर ब्वाय बनने के बाद कभी घर लौटेगा। वह भी जिंदा और एक सामान्य जिंदगी जीने के लिए।
इरशाद और आयशा खान जिनके पास कल शाम तक दिलासा देने और अफसोस जताने वालों की भीड़ लगी थी, शुक्रवार को मुबारक देने वालों से घिरे थे। सभी कह रहे थे कि खुदा ने दुआ कबूल कर ली जो माजिद वापस आ गया। सभी के चेहरे पर चैन और खुशी की लकीरें थी।
इरशाद ने अपने बेटे के वापस मिलने पर खुदा का शुक्र अदा करते हुए कहा कि अब मैं फिर से अपनी टांगों पर खड़ा हो सकता हूं। यह सब आप लोगों की दुआओं का नतीजा है। फोर्स ने भी मदद की, उसके दोस्तों ने भी बहुत कोशिश की।
किसी का बेटा गलत रास्ते पर न जाए
माजिद की मां आयशा बेगम ने कहा कि खुदा ने मुझे मेरा जिगर लौटा दिया। खुदा ने बड़ी रहमत की है। मैं दुआ करती हूं कि किसी का बेटा गलत रास्ते पर न जाए, जिसके भी बेटे ने बंदूक उठाई है, वह उसे छोड़ मां-बाप के पास आ जाए।
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