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कोमा में गए लांसनायक हनुमंथप्पा, हालत में सुधार नहीं; अगले 48 घंटे अहम

बर्फीले रेगिस्तान सियाचिन में चमत्कारी ढंग से जीवित मिले लांसनायक हनुमंथप्पा कोमा में चले गए हैं। कोमा की हालत को देखते हुए उनके फेफड़ों की रक्षा के लिए उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2016 01:21 AM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2016 09:38 PM (IST)
कोमा में गए लांसनायक हनुमंथप्पा, हालत में सुधार नहीं; अगले 48 घंटे अहम

श्रीनगर। बर्फीले रेगिस्तान सियाचिन में चमत्कारी ढंग से जीवित मिले लांसनायक हनुमंथप्पा कोमा में चले गए हैं। कोमा की हालत को देखते हुए उनके फेफड़ों की रक्षा के लिए उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है। अस्पताल के जारी बुलेटिन में कहा गया है कि लांसनायक को अगले 24-48 घंटे तक सघन उपचार में रखा जाएगा।

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इससे पहले लांसनायक को देखने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी भी आर्मी अस्पताल पहुंचे और उनका हालचाल लेकर रवाना हो गए। उन्होंने उसको एक बहादुर जवान बताया और कहा कि उन्हें बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा थल सेना प्रमुख ने भी अस्पताल पहुंचकर हनुमनथप्पा के बारे में जानकारी ली। फिलहाल डाक्टरों की पूरी टीम थप्पा की स्थिति पर लगातार निगाह बनाए हुए है। उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया है।

हनुमंथप्पा को देखने के बाद पीएमओ की और से ट्वीट कर बताया गया कि लांसनायक हनुमंथप्पा की अदम्य भावना और धीरज का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। वे एक बहादुर योद्धा हैं। डॉक्टर्स की टीम उनकी स्थिति पर निगाह बनाए हुए है।

आर्मी अस्पताल पहुंचने से पहले पीएम ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। ट्वीट में उन्होंने बताया कि वे लांसनायक को देखने अस्पताल जा रहै हैं।

इस दौरान पीएम ने देशवासियों को लांसनायक हनुमंथप्पा की सलामती के लिए दुआ करने की भी अपील की।

थप्पा की पत्नी ने दिल्ली में अपने पति से मिलने की इच्छा व्यक्त की है। उनका कहना है कि वह उनसे मिलना चाहती है। वह उसकी सलामती की दुआ मांगने मंदिर भी गई थीं। इसके अलावा हनुमनथप्पा के अन्य परिजन भी उसके जीवित बचे रहने से काफी खुश हैं।

हनुमंथप्पा के परिजन उनसे मिलने के लिए धारवाड़ से दिल्ली के लिए निकल चुके हैं।

PICS: मिलिए सियाचिन में बर्फ से दबे जवान हनुमनथप्पा के परिवार से

गौरतलब है कि करीब 20 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित अग्रिम पोस्ट पर मद्रास रेजीमेंट की टुकड़ी तीन फरवरी को बर्फीले तूफान की चपेट में आ गई थी। जेसीओ सहित दस जवान बर्फ में दब गए थे।

सेना और वायु सेना की टीम ने राहत और बचाव के लिए दो दिनों तक सघन अभियान चलाया था। सेना और वायुसेना के बचाव दल ने अपने खोजी कुत्तों और अत्याधुनिक सेंसरों और उपकरणों के सहारे तलाशी अभियान चलाया। लेकिन सारे प्रयास नाकाम रहे थे। फिर भी सेना की ओर बताया गया था कि जवानों को तलाशने का काम जारी है।

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सोमवार देर रात यह जानकारी सामने आई है कि लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पड़ जीवित बच गए है। कर्नाटक के रहने वाले हनुमनथप्पा करीब 25 फीट बर्फ के नीचे दबे हुए थे।

सेना की उत्तरी कमान के कमांडर ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया है कि हनुमनथप्पा 25 फीट बर्फ में दबे हुए थे। उन्हें गंभीर हालत में सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक जिस इलाके में बर्फीला तूफान आया था, वहां रात का न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 45 डिग्री तक चला जाता है, जबकि दिन का अधिकतम तापमान भी शून्य से नीचे 25 डिग्री के आसपास ही रहता है।

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