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छह माह से बगैर शीर्ष कमांडर के है एनएसजी

देश में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए गठित राष्ट्रीय सुरक्षा बल [एनएसजी] पिछले छह माह से बगैर शीर्ष कमांडर के ही काम कर रहा है। गृह और रक्षा मंत्रालय अब तक इस पद के लायक कोई सैन्य अधिकारी नहीं खोज पाए हैं।

By Edited By: Published: Sun, 01 Jan 2012 10:49 PM (IST)Updated: Mon, 02 Jan 2012 12:52 AM (IST)
छह माह से बगैर शीर्ष कमांडर के है एनएसजी

नई दिल्ली। देश में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए गठित राष्ट्रीय सुरक्षा बल [एनएसजी] पिछले छह माह से बगैर शीर्ष कमांडर के ही काम कर रहा है। गृह और रक्षा मंत्रालय अब तक इस पद के लायक कोई सैन्य अधिकारी नहीं खोज पाए हैं।

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पिछले महानिरीक्षक [आपरेशंस] मेजर जनरल आर एस प्रधान की सेवा 12 जुलाई को ही कमांडो बल को लौटा दी गई। उनका तीन साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं हुआ था। प्रधान 21 जून 2010 को सेना से एनएसजी में प्रतिनियुक्ति पर आए थे। गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि एनएसजी देश भर में सुरक्षा तंत्र को विस्तार देने में जुटा है। इसके तहत विभिन्न महत्वपूर्ण शहरों में अपने कमांडो तैनात कर रहा है ऐसे में इसके शीर्ष कमांडर का नहीं रहना किसी आतंकी हमले या अपहरण की कोशिश की स्थिति में महंगा पड़ सकता है। गृह मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय से संपर्क कर दो बार इस पद के लायक मेजर जनरल रैंक का अधिकारी तलाशने की कोशिश की लेकिन अब तक उसकी तलाश नहीं पूरी हुई है। एनएसजी का लड़ाकू दस्ता महानिरीक्षक [आपरेशंस] की कमान में काम करता है। यह एनएसजी महानिदेशक के बाद दूसरे नंबर का पद है।

सूत्रों का कहना है कि इस पद के लिए केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कुछ समय पहले एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के नाम की संस्तुति की थी लेकिन अब तक पदस्थापना नहीं हुई है। उस अधिकारी के चयन पर रक्षा मंत्रालय से सहमति अभी नहीं मिली है।

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