पीएचडी की 86 फीसदी शोध में चोरी की सामग्री
छात्रों ने शोध करने के बजाय यहां-वहां से कंटेंट चोरी कर कॉपी-पेस्ट किया।
नई दुनिया[अतुल तिवारी सागर]। कॉपी-पेस्ट करके पीएचडी की डिग्री हासिल करने की शिकायतें अक्सर सामने आती रही हैं,लेकिन यूजीसी के सॉफ्टवेयर शोधगंगा ने जो चोरी पकड़ी है वो चौकाने वाली है। डॉक्टर हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय में दो साल में 465 विद्यार्थियों ने पीएचडी के लिए थीसिस जमा की, जिनमें से 401 यानी 86 फीसदी में चोरी की कंटेंट पाई गई।
छात्रों ने शोध करने के बजाय यहां-वहां से कंटेंट चोरी कर कॉपी-पेस्ट किया। महज 64 रिसर्च ऐसी मिलीं, जिनमें प्लेजरियम [तथ्य चुराकर शोध करने की प्रवृत्ति] की मात्रा बिलकुल नहीं है। 401 शोध में प्लेजरियम 5 से 95 प्रतिशत तक है। विवि में तीन अगस्त 2015 से यह सॉफ्टवेयर काम कर रहा है। जिन छात्रों के शोध प्रबंध में प्लेजरियम 20 फीसदी से ज्यादा है उन्हें फिर से शोध प्रबंध तैयार करने को कहा गया है।
75 प्रतिशत से ज्यादाचोरी जिन 401 थीसिस में चोरी पकड़ी गई, उनमें से 15 थीसिस में 75-95 प्रतिशत तक चोरी की सामग्री मिली। यह सामग्री किताबों, वेबसाइट और विषय से मिलते-जुलते शोध प्रबंधों से कॉपी की गई है। यह चोरी पकड़ने का काम विवि की सेंट्रल लाइब्रेरी को सौंपा गया है।
शोधार्थियों को गोपनीय विभाग में पीएचडी थीसिस जमा करने से पहले लाइब्रेरी से सर्टिफिकेट लेना होता है। 22 में चोरी की केस स्टडी विवि में 2 साल में जमा 465 थीसिस में से 22 में केस स्टडी तक चोरी की मिली। जिन पीएचडी थीसिस में 65 प्रतिशत से अधिक सामग्री प्लेजरियम के दायरे में है। उनमें केस स्टडी तक कॉपी की गई है।
हालांकि विवि प्रशासन ने ऐसे शोधों को अमान्य कर दिया है और शोधार्थियों को फिर से शोध प्रबंध तैयार करने के लिए कहा गया है। ऐसे काम करता है शोधगंगा -पीएचडी थीसिस पूरी होने के बाद डिजिटल फॉर्म में सेंट्रल लाइब्रेरी में जमा करना होती है। - इसके बाद शोधगंगा सॉफ्टवेयर पर रिसर्च का कंटेंट अपलोड किया जाता है। - अपलोड होने के 15 मिनट बाद ही सॉफ्टवेयर रिसर्च से प्लेजरियम का प्रतिशत निकाल देता है। - यह सॉफ्टवेयर थीसिस में चोरी का प्रतिशत बताने के साथ किन किताबों, वेबसाइट या शोधपत्रों से सामग्री ली है, उनका नाम भी बता देता है। .. तो थीसिस अमान्य पीएचडी थीसिस में 20 प्रतिशत से अधिक चोरी की सामग्री होने पर उसे मान्य नहीं किया जा रहा है।
जिन थीसिस में 20 प्रतिशत से अधिक चोरी की सामग्री मिलती है, उन्हें शोधार्थियों को लौटा कर दोबारा तैयार करने को कहा जाता है। जब तक प्लेजरियम की मात्रा 20 प्रतिशत से कम नहीं होती, तब तक शोधार्थी को प्रमाण-पत्र जारी नहीं कर रहे। - डॉ. अनुभव श्रीवास्तव, असिस्टेंट लाइब्रेरियन एवं शोधगंगा प्रभारी रेफरेंस सही दें जो विद्यार्थी रेफरेंस को ज्यों का त्यों नकल करते हैं, उन्हें तो दिक्कत है, लेकिन जो इसे अपने शब्दों में लिखते हैं, उनको परेशानी नहीं होती।
थीसिस में रेफरेंस के साथ यह भी लिखा हो कि कहां से लिया गया है, तो वह चोरी की सामग्री नहीं मानी जाती। मुख्य फोकस केस स्टडी और शोध के नतीजे पर होता है। ये भी चोरी के मिले तो अमान्य होना ही चाहिए। - प्रो. वर्षा शर्मा पीएचडी गाइड एवं एचओडी जूलॉजी विभाग, डॉ.हरीसिंह गौर विवि
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