तीन साल में बाल विवाह के 670 मामले दर्ज
केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने राज्यसभा में बताया कि साल 2012 से 2014 के बीच बाल विवाह के 670 मामले दर्ज किए गए हैं।
नई दिल्ली, (पीटीआई)। साल 2012 से 2014 के बीच बाल विवाह के 670 मामले दर्ज किए गए हैं। गुरुवार को सरकार ने राज्यसभा को यह जानकारी दी। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बताया, 'राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, बाल विवाह निरोधक कानून 2006 के अंतर्गत 2012 में 169, 2013 में 222 और 2014 में 280 मामले दर्ज किए गए हैं।' उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि देश में बाल विवाह के चलन को लेकर सरकार चिंतित है। इससे निपटने के लिए आवश्यक कानून बनाया गया है।
मेनका ने बताया, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को समय-समय पर बाल विवाह निरोधक कानून 2006 का प्रभावी तरीके से कार्यान्वयन सुनिश्चित करने को कहा जाता है। राज्य सरकारों से यह भी अनुरोध किया जाता है कि वह 'आखा तीज' के अवसर पर होने वाले बाल विवाहों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
विभिन्न अपराधों के लिए पकड़े गए 1.30 लाख जुवेनाइल
साल 2012 से 2014 के दौरान विभिन्न अपराधों के लिए एक लाख तीस हजार से अधिक बच्चों को पकड़ा गया है। इसमें 27 हजार को निगरानी और बाल सुधार गृह भेजा गया है। मेनका गांधी ने राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया, 'राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2012, 2013 और 2014 में जघन्य अपराधों सहित विभिन्न जुर्मो में आइपीसी, विशेष और स्थानीय कानून के तहत क्रमश: 39,822, 43,506 और 48,230 जुवेनाइल गिरफ्तार किये गए हैं।'
75.27 अधिकारियों ने ही जमा किए अनिवार्य सालाना रिटर्न
साल 2014-15 के लिए 75.27 फीसद सरकारी अधिकारियों ने ही अपने अनिवार्य सालाना रिटर्न दाखिल किया है। हालांकि यह संख्या पिछले साल की अपेक्षा अधिक है। पिछले वर्ष यह आंकड़ा 72.54 प्रतिशत था। राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'केंद्रीय सूचना आयोग की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, 75.27 प्रतिशत सरकारी अधिकारियों ने 2014-15 के लिए सीआइसी के समक्ष अपने वार्षिक रिटर्न दाखिल किए हैं।'
493 अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई की सुविधा
मुकदमों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार ने जेलों और अदालतों के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा में विस्तार किया है। देश की 493 अदालत परिसर और 347 जेलों में यह सुविधा शुरू हो गई है। इसके लिए 800 से अधिक स्थानों पर उपकरण लगाए गए हैं। केंद्रीय विधि मंत्री सदानंद गौड़ा ने लोकसभा को बताया कि द्वितीय चरण में ई-कोर्ट परियोजना को 2,500 अदालत परिसरों और 800 जेलों तक ले जाने की योजना है।