सरकारी स्कूल जो कभी बंद होने के कगार पर था, अाज एडमिशन के लिए मारामारी
महाराष्ट्र के एक गांव में बंद होने की कगार पर पहुंचे स्कूल में पुन: जान डालकर पांच शिक्षकों व ग्रामीणों ने एक आदर्श स्थापित किया है
वासिम (महाराष्ट्र) (जेएनएन)। माफ करा, जगह भरल्या आहे यानि माफ करें इस वर्ष सीट फुल हो चुकी जगह नहीं है। अगले साल हम आपके बच्चे की नामांकन के लिए कोशिश करेंगे। महाराष्ट्र के वसीम जिले के रिसोद तालुक में नावली जिला परिषद स्कूल में नामांकन के लिए पहुंचे एक माता-पिता को वहां के हेडमास्टर ने नम्र लहजे में यह बात कही। पिछले साल तक जहां यह स्कूल बंद होने की कोशिश से बच रहा था वहीं इस साल ये हालात हैं कि सीटें भर चुकी हैं।
जून 2016 में 1 से आठ कक्षा तक चलने वाले इस स्कूल में 145 छात्रों के लिए चार शिक्षक थे और उन्हें भय था कि अनेकों छात्र यहां से चले जाएंगे। महाराष्ट्र में चलने वाले तमाम जिला परिषद स्कूलों को छोड़ने वाले छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। राज्य सरकार के 2016 के डेटा के अनुसार जिला परिषद स्कूलों व स्थानीय निकायों के स्कूलों में नामांकन पाने वाले छात्रों की संख्या में 2009-10 में 16.4 लाख की कमी हुई है। हर साल 2 लाख से अधिक छात्रों ने जिला परिषद व सरकारी स्कूलों को छोड़ प्राइवेट और इंग्लिश मीडियम स्कूलों में दाखिला लिया। इन स्कूलों में से एक नवली स्कूल भी शामिल था।
इसके बाद 33 वर्षीय गार्दे व चार अन्य शिक्षकों ने इस मामले को अपने हाथ में लेने का निर्णय लिया। आज स्कूल में 415 से अधिक छात्र हैं और एडमिशन फुल है।
नवली में करीब 2,000 परिवार हैं जिनमें से अधिकतर सोयाबीन व तूर दाल की खेती करते हैं। गांव में एकमात्र स्कूल नवली जिला परिषद स्कूल है। पिछले साल तक गांव के अधिकतर बच्चे रिसोद टाउन में स्कूल जाते थे क्योंकि नवली स्कूल अच्छा नहीं था। नवली निवासी जयसिंह बागड ने कहा, ‘हमारे स्कूल में न तो शिक्षक थे और न ही उचित इंफ्रास्ट्रक्चर इसलिए जो खर्च वहन कर सकते थे वे अपने बच्चों को कहीं और भेजते थे। लेकिन गांव में स्कूल का होना जरूरी था इसलिए हमने कुछ करने का निर्णय लिया।‘
मई 2016 में ग्रामीणों ने जिला कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया जिसके बाद पांच शिक्षकों को नियुक्त किया गया- हेडमास्टर गर्दे, सुभाष सादर, कृष्णा पलोड, राहुल साखाडेकर व गंजनन जाधव। केवल चार क्लासरूम के साथ आठ कक्षाओं को इन शिक्षकों ने पढ़ाना शुरू किया। इसके बाद ग्रामीणों की मदद से 3 लाख रुपये जुटाए गए और स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर को सही किया गया। अब यहां सात कक्षा, कंप्यूटर लैब, टॉयलेट, ड्रिंकिंग वाटर आदि की सुविधाएं मौजूद हैं।
वासिम जिला कलेक्टर राहुल द्विवेदी ने कहा, टीचर्स की टीम व ग्रामीणों ने एक आदर्श स्थापित किया है जिसे अन्य गांवों व शहरों को फॉलो करना चाहिए।
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