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ई-टोल से बचेगा 27 हजार करोड़ का ईंधन

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को 'फास्टैगÓ ब्रांड आरएफआइडी टैग्स के साथ दिल्ली-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर इलेक्ट्रानिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) प्रणाली को चालू कर दिया।

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 06:49 PM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 07:35 PM (IST)
ई-टोल से बचेगा 27 हजार करोड़ का ईंधन

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को 'फास्टैगÓ ब्रांड आरएफआइडी टैग्स के साथ दिल्ली-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर इलेक्ट्रानिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) प्रणाली को चालू कर दिया।

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उन्होंने कहा कि ईटीसी से इस हाईवे पर ईंधन खर्च में सालाना 1200 करोड़ रुपये की बचत होगी। पूरे देश में यह प्रणाली लागू होने से 27 हजार करोड़ रुपये तक की बचत होगी।

दिल्ली से मुंबई के बीच एनएच-आठ पर कुल24 टोल प्लाजा हैं। इनमें से प्रत्येक प्लाजा की एक लेन ईटीसी के लिए निर्धारित की गई है, जिसे 'फास्टैग लेनÓ नाम दिया गया है। जो वाहन चालक बिना रुके टोल का भुगतान करना चाहेंगे, उन्हें अपने वाहन के विंडशील्ड पर आरएफआइडी टैग लगवाना होगा।

टैग लगा वाहन जब फास्टैग लेन से गुजरेगा तो वाहन मालिक के खाते से टोल राशि स्वत: कट जाएगी और टोल कंपनी के खाते में पहुंच जाएगी। यह सारा काम क्लियरिंग हाउस के जरिए होगा, जिसका प्रबंधन इंडियन हाईवेज मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड (आइएचएमसीएल) कर रही है।

इस कंपनी में एनएचएआइ और सड़क निर्माता कंपनियों के अलावा वित्तीय संस्थाओं की हिस्सेदारी है। वाहन चालकों को फास्टैग का वितरण करने और उनसे टोल संग्रह करने के लिए कंपनी ने एक्सिस बैंक और आइसीआइसीआइ बैंक के साथ करार किया है।

दिसंबर 2015 तक अनिवार्य

इस समय देश में एनएचएआइ द्वारा निर्मित प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर कुल 350 टोल प्लाजा है। दिसंबर 2015 तक इन सभी के टोल प्लाजाओं पर ईटीसी लेन अनिवार्य करने के लिए सरकार ने राजमार्ग परियोजनाओं के अनुबंध समझौते में संशोधन किया है।

इसके अलावा वाहनों में आरएफआइडी टैग लगाने के लिए 1989 की केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली में भी जरूरी बदलाव किए गए हैं।

ईटीसी पर पिछले दो सालों से काम चल रहा है। सरकारी खर्च से बनने वाली 51 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं पर ईटीसी लागू करने के लिए वर्ष 2012-13 में ढाई करोड़ रुपये, जबकि 2013-14 में सवा सत्रह करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी। इस साल इसमें और इजाफा होने की उम्मीद है।

वक्त के साथ ईटीसी लेनों की संख्या बढ़ाई जाएगी। राजमार्गों के निर्माण और रखरखाव के लिए टोल को दुनिया भर में आवश्यक माना गया है।

नई व्यवस्था से कई लाभ

-ईंधन के अलावा यातायात समय में भी बचत होगी। अंतत: संपूर्ण अर्थव्यवस्था को इसका लाभ मिलेगा।

-इससे टोल प्लाजाओं पर वाहनों की कतारें नहीं लगेंगी और टोल कर्मियों के साथ आए दिन होने वाले विवादों और आंदोलनों से छुटकारा मिलेगा।

-टोल संग्रह में भी इजाफा होने की उम्मीद है। सब कुछ ऑनलाइन होने से टोल कंपनियों के लिए संग्रह छुपाना संभव नहीं होगा।

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