फिर खुल सकती हैं सिख विरोधी दंगों की 241 फाइलें, SC ने मांगी जांच रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में शीर्ष अदालत के दो पूर्व जजों की पर्यवेक्षण समिति बनाई है।
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में शीर्ष अदालत के दो पूर्व जजों की पर्यवेक्षण समिति बनाई है। समिति यह जांच करेगी कि सिख विरोधी दंगे से संबंधित 241 मामले बंद करने का एसआईटी का फैसला सही है या नहीं।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने समिति से 199 बंद मामले की जांच के लिए कहा। लेकिन पीडितों की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील ने एचएस फुलका ने कहा कि 42 और मामले हैं जिनकी जांच बंद कर दी गई है। इस पर कोर्ट ने इन्हें भी जांच में शामिल करने को कहा। शीर्ष अदालत ने समिति को तीन महीने के भीतर जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। इस मामले में अब 28 नवंबर को सुनवाई होगी। कोर्ट दिल्ली सिख गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य एस.गुरलाद सिंह कहलों की याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने बंद मामलों पर फैसला शीर्ष अदालत पर छो़ड दिया। उसने बंद लिफाफे में 199 मामले बंद करने का ब्योरा कोर्ट को सौंपा। कोर्ट ने ऐसा ही ब्योरा पर्यवेक्षण समिति को सौंपने का आदेश दिया। कोर्ट को बताया गया कि एसआईटी ने 250 मामले की जांच की और 241 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। नौ मामलों की जांच लंबित है। दो मामलों की जांच सीबीआई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च को केंद्र को सिख विरोधी दंगे के 199 मामलों से ज़़ुडी फाइलें पेश करने का निर्देश दिया था। गौरतलब है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भ़़डके सिख विरोधी दंगे में अकेले दिल्ली में ही 2,733 लोगों की जान चली गई थी।
उप्र सरकार को नोटिस
1984 के सिख विरोधी दंगे की जांच से जु़डे एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उप्र सरकार को नोटिस जारी किया। इस मामले में अब 22 सितंबर को सुनवाई होगी। उप्र के संबंध में दाखिल याचिका में कहा गया है कि कानपुर में दंगों के दौरान 127 लोगों की मौत हुई थी। ज्यादातर मामले सबूत के अभाव में बंद कर दिए गए हैं। शीषर्ष अदालत ने एसआईटी से जांच की मांग संबंधी याचिका पर सुनवाई की मंजूरी देते हुए इस याचिका को सिख दंगों के मुख्य मामले के साथ जो़़डने का फैसला किया था।