उड़ी में आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के दो गाइड पकड़े गए
दो दिन पहले उड़ी में एलओसी के साथ सटे गुहालन इलाके में गश्तीदल ने गुलाम कश्मीर के दो किशोरों को पकड़ा था।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। उड़ी सेक्टर में दो दिन पहले पकड़े गए गुलाम कश्मीर के दो किशोर आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के लिए बतौर गाइड का काम करते हैं। यह दावा शनिवार को सेना ने किया है। फिलहाल, यह पता लगाने का प्रयास हो रहा है कि क्या उड़ी हमले में लिप्त आतंकियों को यही दोनों लेकर आए थे या कोई और। गौरतलब है कि रविवार को उड़ी में सेना की 12 ब्रिगेड पर आतंकी हमला हुआ था।
18 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। चारों हमलावर आतंकी भी मारे गए थे। सैन्य ब्रिगेड पर हमले के बाद उत्तरी कश्मीर में सेना ने एलओसी पर चौकसी बढ़ाते हुए तलाशी अभियान तेज किया था। दो दिन पहले उड़ी में एलओसी के साथ सटे गुहालन इलाके में सेना और बीएसएफ के एक संयुक्त गश्तीदल ने गुलाम कश्मीर के दो किशोरों को पकड़ा था।
इनकी पहचान अहसान खुर्शीद उर्फ डीसी पुत्र मुहम्मद खुर्शीद निवासी खिलाना कलां और फैसल हुसैन आवान उर्फ साहिल उफ साजिल पुत्र गुल अकबर निवासी पौथा जहांगीर, खिलाना के रूप में हुई थी। जब सुरक्षाबलों ने इनकी तलाशी ली थी तो कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला था। दोनों ने बताया था कि वह अपने गांव में छेड़खानी की तथाकथित वारदात में लिप्त हैं और लोगों की मार से बचने केलिए भागते हुए एलओसी पार कर गए। खिलाना और गुहालन दोनों एक-दूसरे के गांव से सटे हुए हैं। पहले तो इन दोनों को सुरक्षाबलों ने वापस भेजने का फैसला कर लिया। लेकिन पूछताछ के दौरान जब उनकी बातें कुछ संदिग्ध लगी।
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वह जिस इलाके में पकड़े गए, उड़ी सैन्य ब्रिगेड पर हमले में लिप्त आतंकी भी उसी रास्ते से आए थे। सुरक्षाबलों को अपने तंत्र से पता चला था कि सैन्य ब्रिगेड पर हमले में बेशक चार आतंकी शामिल थे, लेकिन उनके कुछ अन्य साथी भी थे जो हमले से पहले कहीं और निकल गए हैं व उनकी संख्या दो से तीन है। जागरण ने हमले के दिन ही दावा किया था कि हमलावरों के तीन अन्य साथी भी बताए जाते हैं, जिनकी तलाश हो रही है। संबंधित अधिकारियों ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए दोनों किशोरों से पूछताछ शुरू की और संदेह यकीन में बदल गया।
पूछताछ में दोनों ने स्वीकार किया कि वह जैश के लिए बीते दो साल से काम कर रहे हैं। उनका गांव एलओसी के साथ सटा हुआ है। वह पूरे इलाके की भौगोलिक परिस्थितियों से अवगत हैं। इसलिए वह जैश के आतंकियों के लिए बतौर गाइड भी काम करने लगे थे। दोनों से पूछताछ जारी है। लेकिन संबंधित अधिकारियों में से कोई भी यह बताने में समर्थ नहीं था कि गत इतवार को सैन्य ब्रिगेड पर हमला करने वाले आतंकियों को इन्होंने ने ही सरहद पार कराई थी या किसी और ने। इसके अलावा क्या यह पकड़े जाने के समय रैकी कर रहे थे या फिर वापस लौट रहे थे।
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