जीएसटी में 18 फीसद टैक्स कैपिंग की लामबंदी में जुटी कांग्रेस
जीएसटी की दर तय करने के लिए हो रही चर्चाओं के बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार से जीएसटी की दर 18 फीसद तक ही सीमित रखने की मांग की है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस ने वस्तु एवं सेवा कर की दर 18 फीसद से ज्यादा नहीं करने के लिए सरकार पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिशें शुरू कर दी है। जीएसटी की दर तय करने के लिए हो रही चर्चाओं के बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार से जीएसटी की दर 18 फीसद तक ही सीमित रखने की मांग की है। कांग्रेस इस कैपिंग को जीएसटी लागू करने संबंधी संसद में पारित किए जाने वाले बिल में भी शामिल कराने की सियासी गोलबंदी में जुट गई है।
राहुल गांधी ने केन्द्र की जीएसटी काउंसिल के साथ मिलकर दर तय करने की चल रही कसरत के बीच आज कहा कि वस्तु एवं सेवा कर एक अप्रत्यक्ष टैक्स होगा। इसकी वजह से यह अमीर या गरीबों में कोई फर्क नहीं करेगा। क्योंकि तय दर सभी वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होगी। ऐसे में जीएसटी की दर 18 फीसद से ज्यादा रखा जाएगा तो आम आदमी और खासकर गरीबों के लिए यह मुश्किल होगा। टैक्स की अधिक दर वस्तुओं और सेवाओं दोनों की महंगाई बढ़ाएगी। राहुल का यह भी कहना है कि जीएसटी को उद्योग और व्यापार जगत के हित के अनुकूल रखने की भी कांग्रेस 2005 से वकालत करती रही है। इस नजरिए में कोई बदलाव नहीं आया है। मगर अधिक जीएसटी दर से महंगाई बढ़ेगी। वैसे कांग्रेस अपने इस तर्क के समर्थन में जीएसटी पर दर के आकलन को लेकर गठित सुब्रमण्यम समिति की रिपोर्ट का भी हवाला दे रही है। पार्टी का कहना है कि एनडीए सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम की रिपोर्ट भी जीएसटी की दर 16 से 21 फीसद के बीच रखने की हिमायत करती है।
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सरकार पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस अगले महीने शीत सत्र के दौरान लाए जाने वाले जीएसटी लागू करने संबंधी बिल में कैपिंग को भी शामिल कराना चाहती है। हालांकि सरकार कर की दर को संसद में तय करने के पक्ष में नहीं रही है। लेकिन मानसून सत्र में राज्यसभा में जीएसटी संविधान संशोधन बिल पारित कराने के दौरान कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने सरकार से संसद की अनदेखी कर दर तय नहीं करने को कहा था। इस पर सरकार ने राजनीतिक दलों से मशविरे की बात तो कही थी मगर संसद में बिल के जरिए जीएसटी दर तय करने की बात पर रणनीतिक चुप्पी साधते हुए कोई आश्र्वासन नहीं दिया था। कैपिंग पर संसद के किसी तरह के कानूनी लगाम के लिए सरकार के तैयार नहीं होने के रूख को देखते हुए कांग्रेस शीत सत्र के लिए वामपंथी पार्टियों, जनता दल यूनाइटेड, अन्नाद्रमुक समेत अन्य विपक्षी दलों को साथ लाने की राजनीतिक लामबंदी में लग गई है।