नक्सलियों से निपटेगी 13 नई सशस्त्र बटालियन
नक्सल समस्या से निपटने के लिए सरकार तेरह नई सशस्त्र पुलिस बटालियनें गठित करेगी।
नई दिल्ली। नक्सल समस्या से निपटने के लिए सरकार तेरह नई सशस्त्र पुलिस बटालियनें गठित करेगी। इनमें से एक बटालियन में नक्सली हिंसा से बुरी तरह प्रभावित जिलों से बड़ी संख्या में जनजातीय युवकों की भर्ती की जाएगी। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सुरक्षा पर मंत्रिमंडल की समिति (सीसीएस) ने नक्सल प्रभावित राज्यों के लिए 12 रिजर्व बटालियनों की मंजूरी दी। इनमें से चार छत्तीसगढ़ में, झारखंड और ओडिशा में तीन-तीन और महाराष्ट्र में दो बटालियनें गठित होंगी।
सीसीएस ने स्पष्ट किया है कि कांस्टेबल स्तर के 75 फीसदी पद 27 अत्यंत नक्सल प्रभावित राज्यों से भरे जाएंगे। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि स्थानीय युवकों की भर्ती के लिए उम्र और शिक्षा संबंधी शर्तों में छूट दी जाएगी। इतना ही नहीं लंबाई और वजन में भी राहत मिलेगी। इसके अलावा सीआरपीएफ को "बस्तरिया" बटालियन गठित करने की मंजूरी दी गई है। इस बटालियन में छत्तीसगढ़ के अविभाजित बस्तर जिले के युवकों की भर्ती की जाएगी।
इसके लिए बटालियन में सभी कांस्टेबल जनजातीय बहुल सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बीजापुर जिलों (अविभाजित बस्तर के सभी हिस्से) से भर्ती किए जाएंगे। पहले से ही मंजूर दो इंडिया रिजर्व बटालियन को सीआरपीएफ में पूरक बटालियन के रूप में परिणत किया जाएगा। इसमें झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र और ओडिशा के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित 15 जिलों के युवकों की भर्ती की जाएगी। इन 15 जिलों में से पांच जिले छत्तीसगढ़ के हैं। "बस्तरिया" बटालियन का विचार उपयोगी माना गया है।
माना जा रहा है कि इसमें जनजातीय युवकों की बड़ी संख्या में भर्ती से वहां बेरोजगारी दूर होगी। सीआरपीएफ को अभियान के लिए युक्ति पूर्ण लाभ मिलेगा। खुफिया सूचनाएं एकत्र करने में और भाषा संबंधी सुविधा मिलेगी। "बस्तरिया" बटालियन को कम से कम पांच वर्षों के लिए छत्तीसगढ़ में तैनात किया जाएगा और स्थानीय लोगों को भर्ती से पहले का प्रशिक्षण दिया जाएगा। सरकार ने 1971 में इंडिया रिजर्व बटालियन योजना शुरू की थी और अभी तक विभिन्न राज्यों में 153 बटालियनें गठित की जा चुकी हैं।
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