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महाराष्ट्र: 10 माह में 2414 किसानों ने की आत्महत्या

जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 10 महीनों में 2414 किसान आत्महत्या की खबरें आईं हैं। जबकि 2016 के आंकड़ों के मुकाबला यह 7 फीसदी कम हैं।

By Srishti VermaEdited By: Published: Thu, 09 Nov 2017 02:29 PM (IST)Updated: Thu, 09 Nov 2017 03:22 PM (IST)
महाराष्ट्र: 10 माह में 2414 किसानों ने की आत्महत्या
महाराष्ट्र: 10 माह में 2414 किसानों ने की आत्महत्या

मुंबई (जेएनएन)। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या को लेकर नए आधिकारिक आंकड़े जारी किये गए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक जून से लेकर अक्टूबर तक के पांच महीनों में कुल 1254 किसानों ने कर्ज के बोझ तले आकर आत्महत्या कर ली। इनमें से आधे यानि 691 किसान आत्महत्या की खबरें सिर्फ विदर्भ प्रांत की है जो राज्य के मुख्यमंत्री फड़णवीस का क्षेत्र है। 

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जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 10 महीनों में 2414 किसान आत्महत्या की खबरें आईं हैं। जबकि 2016 के आंकड़ों के मुकाबला यह 7 फीसदी कम हैं। हालांकि 2016 की तुलना में दो क्षेत्रों में सबसे ज्यादा आत्महत्या की खबरें हैं। पश्चिमी महाराष्ट्र में पिछले साल ये संख्या 68 थी जबकि इस साल यह संख्या 80 है। वहीं अमरावती में 907 किसान आत्महत्या के मामले हैं जबकि 2016 में यह आंकड़ा 892 था।

विदर्भ में जनवरी से अक्टूबर तक 1,133 किसानों के आत्महत्या की खबरें हैं जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1,203 था। मराठवाड़ा में यह संख्या 789 है जबकि पिछले साल ये आंकड़ा 907 था। कोंकण में 3 मामले दर्ज किये गए जबकि पिछले साल यहां एक भी मामले दर्ज नहीं किये गए थे।

राज्य सरकार ने इन मामलों पर कहा था कि कर्ज के बोझ से किसानों के आत्महत्या को रोकने का एकमात्र हल कृषि में अधिक से अधिक निवेश होगा। हालांकि किसानों का कहना है कृषि उत्पादों की कीमतों का कम होना भी उनके लिए एक बड़ी समस्या है जिसके बारे में सरकार कभी बात नहीं करती है।

किसान सभा के अजीत नवाले ने कहा, इस साल कृषि उत्पादों की कीमतें पिछले साल से भी कम हैं। पिछले साल जहां एक क्विंटल कॉटन की कीमत 5,400 रुपए थी वहीं इस साल यह कीमत 3,400 रुपए है। हालांकि सरकार ने कम से कम 4,320 रुपए प्रति टन कीमत की घोषणा की थी लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ।

खरीफ फसलों में 31 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन किया गया लेकिन सरकार ने इनमें बहुत कम ही खरीद की योजना बनाई है। मालूम हो कि, राज्य में किसानों के एक समूह ने 10 नवंबर को जिला सरकारी कार्यालय के समक्ष इन मुद्दों को लेकर कृषि उत्पादों और दूध को फेंककर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

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