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आधार-राशन कार्ड के चक्कर में 'भात-भात' कहते 11 साल की बच्ची ने तोड़ा दम

परिवार को पीडीएस स्कीम के तहत गरीबों को मिलने वाला राशन पिछले कई महीनों से नहीं मिल पा रहा था।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 17 Oct 2017 11:43 AM (IST)Updated: Tue, 17 Oct 2017 01:38 PM (IST)
आधार-राशन कार्ड के चक्कर में 'भात-भात' कहते 11 साल की बच्ची ने तोड़ा दम
आधार-राशन कार्ड के चक्कर में 'भात-भात' कहते 11 साल की बच्ची ने तोड़ा दम

नई दिल्ली/ रांची (एएनअाई)। झारखंड के सिमडेगा से एक बेहद हैरान करने वाली ख़बर सामने आई है। जहां 8 दिनों से भूखी 11 साल की एक बच्ची की मौत हो गई। स्थानीय राशन डीलर ने महीनों पहले उसके परिवार का राशन कार्ड रद्द करते हुए अनाज देने से इनकार कर दिया था। राशन डीलर की दलील थी कि राशन कार्ड आधार नंबर से लिंक नहीं है। रूह कंपा देने वाली इस खबर को सुनकर हर कोई हैरान है। 

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मिली जानकारी के अनुसार संतोषी कुमारी नाम की इस लड़की ने 8 दिन से खाना नहीं खाया था, जिसके चलते बीते 28 सितंबर को भूख से उसकी मौत हो गई। परिवार को पीडीएस स्कीम के तहत गरीबों को मिलने वाला राशन पिछले कई महीनों से नहीं मिल पा रहा था।

मां ने बताई दर्दनाक दास्तां

संतोषी की मां कोयली देवी ने बताया कि 28 सितंबर की दोपहर संतोषी ने पेट दर्द होने की शिकायत की। गांव के वैद्य ने कहा कि इसको भूख लगी है। खाना खिला दो, ठीक हो जाएगी। मेरे घर में चावल का एक दाना नहीं था।इधर संतोषी भी भात-भात कहकर रोने लगी थी। उसका हाथ-पैर अकड़ने लगा। शाम हुई तो मैंने घर में रखी चायपत्ती और नमक मिलाकर चाय बनायी। संतोषी को पिलाने की कोशिश की। लेकिन, वह भूख से छटपटा रही थी। देखते ही देखते उसने दम तोड़ दिया।

मंत्री अौर अधिकारी के अलग- अलग बयान

इस मामले में राज्य के फूड अौर सिविल सप्लाई मंत्री ने कहा कि  साफ निर्देश दिए गए हैं कि जिनका आधार राशन कार्ड से लिंक न हो उन्हें राशन देने से मना नहीं किया जा सकता। हालांकि जलडेगा ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर संजय कुमार कोंगारी भूख की मौत से इंकार कर रहे हैं। उनके मुताबिक लड़की की मौत मलेरिया से हुई है। मगर वो इस बात को मान रहे हैं कि लड़की के परिवार का नाम आधार से लिंक नहीं होने की वजह से पीडीएस के लाभार्थियों की सूची से बाहर कर दिया गया था।

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मिड-डे मील से भरता था पेट

भूख से मरने वाली संतोषी की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्कूल के मिड-डे मील से उसके दोपहर के खाने का इंतजाम होता था। मगर दुर्गा पूजा की छुट्टियां होने की वजह से स्कूल बंद था और इस वजह से उसे कई दिन भूखा रहना पड़ा। जिसकी वजह से उसकी जान चली गई।

परिवार की अार्थिक स्थिति बेहद खराब

बीपीएल रेखा से नीचे रहने वाले संतोषी के परिवार के पास कोई नौकरी नहीं है, न ही इनके स्थायी आमदनी का कोई जरिया है, जिसके कारण परिवार पूरी तरह सरकारी राशन पर ही निर्भर था। संतोषी के पिता मानसिक तौर पर बीमार हैं जबकि उसकी मां और बहन दोनों मजदूरी कर के एक दिन में मुश्किल से 90 रुपए तक कमा पाती हैं। संतोषी का परिवार बड़ी मुश्किल से किसी तरह घर का खर्चा चला रहा था लेकिन पिछले कुछ दिनों से किसी ने कुछ नहीं खाया था।

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भूखमरी के मामले में विश्व में भारत का स्थान

ग्लोबल हंडर इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक भुखमरी के मामलों में भारत की स्थिति और चिंताजनक बताई गई है। रिपोर्ट पर यदि हम भरोसा करें तो भारत 97 नम्बर पर खिसक कर आ गया है। साथ ही भूखमरी के मामले में भारत को खतरनाक देशों की श्रेणी में रखा गया है। हालांकि पिछले छः सालों में बच्चों में वेस्टेड यानी बेहद कमजोर होने की दर में गिरावट जरूर आई है। यहां भी ब्रिस्क देशों की तुलना में भारत की स्थिति नाजुक बनी हुई है। आंकड़ों पर भरोसा करे तो 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का आंकड़ा उच्च आय वाले देशों की तुलना में 7 गुना ज्यादा बताया गया है।  अकेले भारत में वर्ष 2015 में 1.2 मिलियन मौतें हुईं हैं जो अपने आप हैरान कर देने वाले आंकड़े हैं।


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