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राजस्थान में दूषित पानी से 12 दिन में 11 बच्चों की मौत

जयपुर के विमंदित गृह में 11 बच्चों की मौत के बाद राज्य सरकार हरकत में आई है। सरकार ने मामले में जांच के आदेश दे दिए है।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 29 Apr 2016 08:58 PM (IST)Updated: Fri, 29 Apr 2016 10:19 PM (IST)
राजस्थान में दूषित पानी से 12 दिन में 11 बच्चों की मौत

नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। राजस्थान सरकार की ओर से जयपुर में संचालित विमंदित गृह में 12 दिन में 11 बच्चों की मौत की घटना सामने आई है। जबकि 9 बच्चे जेकेलॉन सरकारी अस्पताल में भर्ती है, इनमें से तीन की हालत गंभीर बनी हुई है। मृतकों में छह बच्चियां भी शामिल है। बताया जा रहा है यह मौतें लगातार दूषित पानी पीने और संक्रमित भोजन के कारण हुई।

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हालांकि सरकार का कहना है कि मौतों का कारण बैक्टिरिया इंफेक्शन हो सकता है। विमंदित गृह की जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारियों की स्थिति यह है कि उन्होंने छह मृतक बच्चों के परिजनों को तो सूचना तक नहीं दी। अब मामला सार्वजनिक होने के बाद कुछ परिजन विमंदित गृह पहुंचे तो उन्हें बच्चों के बारे में जानकारी नहीं मिल रही कि उनके बच्चे कहां है।

16 अप्रैल से ही बच्चे बीमार होना शुरू हो गए थे। इसकी जानकारी भी समाज कल्याण मंत्री अरुण चतुर्वेदी से लेकर आला अफसरों तक थी, लेकिन इनमें से ना तो कोई विमंदित गृह पहुंचा और ना ही अस्पताल में भर्ती बच्चों के हालचाल जानने गया। वहीं बच्चे लगातार बीमार होते रहे, लेकिन इस दौरान सिर्फ रूटीन चैकअप ही कराया गया, पानी और खाने की जांच तक नहीं की गई।

मामला सार्वजनिक होने के बाद सरकार हरकत में आई। पहले तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने चतुर्वेदी को तलब कर लताड़ लगाकर हालात पर नियंत्रण के निर्देश दिए और फिर चिकित्सा विभाग को इस मामले में शीघ्र कार्रवाई के लिए कहा। सीएम की लताड़ के बाद चतुर्वेदी पहले तो विमंदित गृह गए और फिर अस्पताल में भर्ती मरीजों के हालचाल पूछे। चतुर्वेदी ने कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने प्रदेश के सभी विमंदित गृहों में शुद्ध पानी के लिए आरओ लगवाने और ताजा भोजन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

अस्पताल पहुंचे सचिन पायलट

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने अस्पताल पहुंचकर घायल बच्चों के हाल जाना। पायलट ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने की मांग की। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी भी अस्पताल गए।

मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान

इधर इस मामले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और स्वास्थ्य निदेशक से जवाब मांगा है।

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