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पश्चिम बंगाल चुनाव: 103 वर्षीय असगर अली ने पहली बार किया मतदान

पश्चिम बंगाल में हो रहे विधानसभा चुनावों के अंतिम चरण में आज 103 वर्षीय अजगर अली ने पहली बार वोट डाला।

By kishor joshiEdited By: Published: Thu, 05 May 2016 02:15 PM (IST)Updated: Thu, 05 May 2016 02:29 PM (IST)
पश्चिम बंगाल चुनाव: 103 वर्षीय असगर अली ने पहली बार किया मतदान

कोलकाता (जेएनएन)। उत्तर बंगाल के छिंटमहल के 9776 मतदाता कूचबिहार जिले के 38 बूथों पर गुरुवार को पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इनमें से एक हैं 103 वर्ष के असगर अली जिन्होंने अपने जीवन में पहली बार वोट डाला है।

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दरअसल, असगर अली छिंटमहल में रहते थे। छिंटमहल के लोग न तो भारत और न ही बांग्लादेश के नागरिक थे। परंतु, पिछले वर्ष बांग्लादेश के साथ हुए सीमा भूमि समझौते के बाद छिंटहमल के 14 हजार से अधिक लोग भारत में रहने की इच्छा जताई। इसके बाद उन्हें भारतीय नागरिकता के साथ-साथ वोट डालने का भी अधिकार दिया गया। उन्हीं छिंटमहल वासियों में से मध्य मसलडांगा इलाके के 103 वर्षीय असगर अली पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग किया उन्होंने वोट डालने के बाद खुशी जताई और कहा कि जीवन में पहली बार वोट डालना बहुत अच्छा लग रहा है।

देखें तस्वीरें- प. बंगाल के मतदान में शामिल हुए 103 वर्षीय असगर अली

विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में कूचबिहार की नौ विधानसभा सीटें मेखलीगंज, माथाभांगा, सिताई, दिनहाटा, तूफानगंज और नाटाबाड़ी छिंटमहल वासियों ने वोट डाले। नाटाबाड़ी को छोड़ कर शेष पांच विधानसभा क्षेत्रों में कुल 9776 मतदाता हैं जिन्हें मतदाता पहचान पत्र दिया गया है। बताते चलें कि 31 जुलाई 2015 को भारत- बांग्लादेश के बीच सीमा समझौैता के तहत छिंटमहल का आदान प्रदान हुआ। समझौते के तहत 51 छिंटमहल भारत में आएं और 111 छिटमहल बांग्लादेश में गए। भारत में 51 छिंटमहल की आबादी 14864 हैं।

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मतदान को लेकर छिंटमहल के मतदाताओं में विशेष जागरूकता अभियान चलाया गया था। क्योंकि, उन्हें वोट से क्या फायदे हैं इसके बारे में जानकारी दी गई। मतदाता पहचान पत्र वितरण से लेकर उन्हें वोट डालने की प्रक्रिया तक की जानकारी दी गई। ईवीएम में कैसे वोट डाले जाएंगे यह भी बताया गया था। छिंटमहल क्षेत्र में दो माडल मतदान केंद्र बनाया गया है। छिंटमहल के संक्षिप्त इतिहास कुछ इस तरह है। एक जमाने में राजा पांसा खेलने के दौरान हार-जीत के दौरान एक-एक इलाके को एक दूसरे को सौंप देते थे। भारत सरकार और बांग्लादेश सरकार के बीच समय-समय पर छिंटमहल की समस्या का समाधान करने की दिशा में कदम उठाए गए। अंत में 31 जुलाई 2015 को दोनों देशों के बीच छिंटमहल का आदान प्रदान हुआ और उन्हें अपने-अपने देश की नागरिकता प्राप्त हुई।


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