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शनि के बर्फीले चांद पर गर्म पानी के 101 झरने

अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी नासा के कैसिनी अंतरिक्षयान द्वारा भेजे गए आंकड़ों और तस्वीरों की मदद से शोधकर्ताओं वैज्ञानिकों ने शनि के बर्फीले चांद एनसेलाडस पर गर्म पानी के अलग अलग 101 झरनों की पहचान की है। शोधकर्ताओं के विश्लेषण के मुताबिक, चांद की सतह के नीचे समुद्र से तरल रूप में पानी का सतह तक पहुंचना संभव है। सात स

By Edited By: Published: Tue, 29 Jul 2014 05:14 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jul 2014 05:14 PM (IST)
शनि के बर्फीले चांद पर गर्म पानी के 101 झरने

वाशिंगटन। अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी नासा के कैसिनी अंतरिक्षयान द्वारा भेजे गए आंकड़ों और तस्वीरों की मदद से शोधकर्ताओं वैज्ञानिकों ने शनि के बर्फीले चांद एनसेलाडस पर गर्म पानी के अलग अलग 101 झरनों की पहचान की है।

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शोधकर्ताओं के विश्लेषण के मुताबिक, चांद की सतह के नीचे समुद्र से तरल रूप में पानी का सतह तक पहुंचना संभव है। सात साल के लंबे समय के दौरान कैसिनी के कैमरों ने शनि के इस छोटे से चांद के दक्षिणी ध्रुवीय इलाके का सर्वेक्षण किया। यह एक अनोखा भूवैज्ञानिक बेसिन है जो अपनी बड़ी बड़ी चार दरारों के लिए प्रसिद्ध है। इन्हें टाइगर स्ट्रिप भी कहा जाता है। इन दरारों और छोटे बर्फीले कणों के झरनों की पहली झलक दस साल पहले मिली थी। शोधकर्ताओं ने कैसिनी से मिली तस्वीरों के आधार पर जो मॉडल बनाया है उसमें 101 गर्म पानी के झरनों का अनुमान लगाया गया है। ये सभी टाइगर स्ट्रिप से ही निकल रहे हैं।

इन झरनों की जगह का सही निर्धारण करने के लिए शोधकर्ता धरती की भूवैज्ञानिक संरचना का अध्ययन कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने इन झरनों की जगहों की तुलना ऊष्मा के उत्सर्जन से संबंधित नक्शे से की। उन्होंने पाया कि सबसे ज्यादा थर्मल विकिरणों वाली जगहों पर ही ये पानी के झरने पाए गए। शोधकर्ताओं ने बर्फ के आस पास बहुत ही संकरी नालियां भी देखी हैं। इनके नीचे समुद्र का पानी हो सकता है जो तरल अवस्था में होगा। यह शोध एस्ट्रॉनोमिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

नासा के रोवर ने बनाया रिकॉर्ड नासा के मार्स रोवर आपरच्यूनिटी ने मंगल ग्रह पर सबसे अधिक दूरी तय करने का रिकॉर्ड बना दिया है। यह रोवर किसी दूसरे ग्रह पर सबसे अधिक चलने वाला मानव निर्मित वाहन बन गया है। नासा ने अपने बयान में कहा, वर्ष 2005 में मंगल की सतह पर पहुंचने के बाद से सौर ऊर्जा से चलने वाला यह रोबोट अब तक 40 किलोमीटर की यात्रा कर चुका है। सोवियत यूनियन का लुनोखोड 2 रोवर 15 जनवरी, 1973 को चांद की सतह पर उतरा था। उसने पांच महीने से भी कम समय में 39 किलोमीटर की यात्रा की थी।

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