गंगा में उतराते मिले शवों को कर्मचारियों ने दफनाने से किया इंकार
माघ माह के मुख्य स्नान मकर संक्राति पर्व पर बिठूर के पास उन्नाव के परियर गांव की ओर गंगा में सौ से अधिक शव उतराने से सनसनी फैल गई है। कानपुर और उन्नाव के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर कुछ शवों को दफन करवाया, तो वहीं कर्मचारियों
जागरण न्यूज नेटवर्क, कानपुर। माघ माह के मुख्य स्नान मकर संक्राति पर्व पर बिठूर के पास उन्नाव के परियर गांव की ओर गंगा में सौ से अधिक शव उतराने से सनसनी फैल गई है। कानपुर और उन्नाव के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर कुछ शवों को दफन करवाया, तो वहीं कर्मचारियों ने कुछ शवों को दफनाने से इंकार कर दिया।
इसी बीच एक ताजा घटनाक्रम में उन्नाव के मुख्य चिकित्साधिकारी ने शवों के पोस्टमार्टम करने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि शव बुरी तरह सड़ चुके हैं। अब इनका पोस्टमार्टम संभव नहीं है। कल शाम भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने भी जायजा लिया था। उनके साथ गए उन्नाव विधायक पंकज गुप्ता ने शवों को दफनाने का विरोध किया और उनका पोस्टर्माटम कराने की मांग की थी।
कुंवारों और बच्चों के शव को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा है। प्रतिदिन पांच से छह शव गंगा में प्रवाहित किए जाते हैं। बिठूर घाट पर कन्नौज, बिल्हौर आदि जगहों से शव बहते हुए आ जाते हैं। यही शव परियर (उन्नाव जिले का गांव) गांव की ओर किनारे लग जाते हैं। इन शवों को खाने के लिए चील, कौओं के साथ ही कुत्ते और सियार भी टूट पड़ते हैं।
आस्था व मान्यता के कारण प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस भी लोगों को शव प्रवाहित करने से नहीं रोकती। बुधवार को मां गंगा प्रदूषण मुक्ति अभियान समिति के संयोजक रामजी त्रिपाठी दोपहर एक बजे ब्रह्मावर्त घाट पर पहुंचे तो उन्हें किसी ने गंगा में एक सौ से अधिक शव उतराने की सूचना दी। शव देखने के बाद उन्होंने सूचना आइजी जोन आशुतोष पांडेय और एसपी उन्नाव को दी और खुद धरने पर बैठ गए।
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