100 दिन में अच्छे दिनों की उम्मीदें जवान
नरेंद्र मोदी सरकार के सौ दिनों को अगर एक शब्द में परिभाषित करना हो तो वह है 'चरैवेति-चरैवेति'। मोदी सरकार के अच्छे दिनों का नारा भले ही जमीन पर न उतरा हो, लेकिन उम्मीदें अभी जवान हैं। सरकार बनने के बाद से हनीमून पीरियड या आराम की मुद्रा में सरकार कतई नहीं गई। विवाद सरकार में रहे, लेकिन विधायी और कार्यपालिक
नई दिल्ली [राजकिशोर]। नरेंद्र मोदी सरकार के सौ दिनों को अगर एक शब्द में परिभाषित करना हो तो वह है 'चरैवेति-चरैवेति'। मोदी सरकार के अच्छे दिनों का नारा भले ही जमीन पर न उतरा हो, लेकिन उम्मीदें अभी जवान हैं। सरकार बनने के बाद से हनीमून पीरियड या आराम की मुद्रा में सरकार कतई नहीं गई। विवाद सरकार में रहे, लेकिन विधायी और कार्यपालिका के फैसले लेने की गति तो बढ़ी है। बात दरअसल, इससे आगे कार्यसंस्कृति बदलने की भी है। कई छोटे-छोटे फैसले ऐसे हुए हैं, जिनके नतीजे बहुत बड़े हैं।
चुनाव से पहले मोदी की छवि काम करने वाले नेता के रूप में थी। अभी नतीजों में तो थोड़ा समय लगेगा, लेकिन काम करने और कराने की उनकी क्षमता से देश वाकिफ हो गया है। कुछ ऐसे फैसले भी हुए हैं, जिनके दूरगामी असर के शुभ संकेत दिखाई पड़ने लगे हैं। दफ्तरों में बाबू न सिर्फ समय से दिख रहे हैं, बल्कि काम करते भी नजर आ रहे हैं। मंत्रालयों में मटरगश्ती करते कर्मचारियों के झुंड अब पहले की तरह तो नहीं दिखते। संसद सत्र भी इस दफा न सिर्फ चला, बल्कि उसमें भी अरसे बाद काम होते दिखा। इस दौरान प्रधानमंत्री ने खुद तो कोई छुंट्टी ली नहीं, उनके मंत्रियों का भी हाल कुछ जुदा नहीं रहा।
तेजी से लिए जा रहे फैसले
पिछले करीब तीन साल से संप्रग सरकार में नीतिगत जड़ता देख चुकी जनता अब त्वरित गति से फैसले होते देख रही है। इसीका नतीजा है कि अब तक मोदी सरकार 20 हजार करोड़ रुपये की सड़क परियोजना को मंजूरी दे चुकी है। नक्सल इलाकों में तैनात अर्द्धसैनिक बलों को जम्मू-कश्मीर जैसा ही रिस्क अलाउंस देने का फैसला हो या सैनिकों के लिए आवास या वार मेमोरियल बनाने का। हर काम तेजी से हो रहा है। विदेश नीति के मोर्चे पर भी इन तीन माह में भी मोदी सरकार के पास गिनाने को बहुत कुछ है।
साफ-सफाई पर संवेदनशील
वाराणसी और नई दिल्ली जैसे रेलवे स्टेशनों में साफ-सफाई महसूस हो रही है और मंत्रालयों का माहौल भी बदला हुआ है। गंगा-यमुना जैसी नदियां साफ करने की दिशा में जिस तरह से तेजी से काम बढ़ा है, उससे लोगों की उम्मीदें अभी जवान ही हैं।
अर्थव्यवस्था में उछाल
सरकार की किस्मत कहें या उसके उठाए गए कदमों का असर, पिछले ढाई वर्षो से लगातार गर्त में जा रही अर्थव्यवस्था की विकास दर इस तिमाही बढ़कर 5.7 फीसद हो गई है। एक दिन में डेढ़ करोड़ लोगों के बैंक खाते खोलने के रिकार्ड के साथ प्रधानमंत्री जनधन योजना का आगाज हो चुका है। पेट्रोल के दाम तीन बार घटाए गए हैं और डीजल के दाम भी घटेंगे। जाहिर है कि अच्छे दिनों की उम्मीदें परवान चढ़ ही रही हैं। हालांकि, मंत्रियों की जासूसी या जरूरत से ज्यादा उन पर निगरानी जैसे मसलों से सरकार की फजीहत भी हुई।
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