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यदि लगन सच्ची हो तो राह में रोड़ा नहीं बनती कोई भी बाधा

यदि लगन सच्ची हो तो कोई भी बाधा राह में रोड़ा नहीं बनती। फिर चाहे शिक्षा प्राप्त करने में कितनी ही दूरी क्यों न तय करनी पड़े।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 30 May 2017 11:17 AM (IST)Updated: Tue, 30 May 2017 11:17 AM (IST)
यदि लगन सच्ची हो तो राह में रोड़ा नहीं बनती कोई भी बाधा
यदि लगन सच्ची हो तो राह में रोड़ा नहीं बनती कोई भी बाधा

देहरादून, [जेएनएन]: यदि लगन सच्ची हो तो कोई भी बाधा राह में रोड़ा नहीं बनती। फिर चाहे शिक्षा प्राप्त करने में कितनी ही दूरी क्यों न तय करनी पड़े। विकासनगर के छात्र शुभनय जैन ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया। घर से स्कूल तक रोजाना 45 किमी का सफर तय करते-करते उन्होंने जीवन का एक अहम पड़ाव पार कर लिया है। ब्राइटलैंड्स के इस छात्र ने बारहवीं में 98.5 प्रतिशत अंक प्राप्त कर राज्य में तीसरा स्थान हासिल किया है। 

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पिता संदीप जैन बताते हैं कि शुभनय शुरुआत से ही पढ़ाई के प्रति समर्पित रहा। उसी की जिद पर विकासनगर से कई किमी दूर उसका दाखिला दून के स्कूल में कराया। वहां से वह रोज स्कूल आता-जाता था। इस दूरी ने उसे एक अनुशासित दिनचर्या का सबक भी दिया है। दसवीं में भी उसने 97.40 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। अब वह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक कर सिविल सेवा में जाना चाहता है। 

बेस्ट फ्रेंड्स को मिले समान अंक 

दोस्ती में इससे अच्छा संयोग भला क्या होगा। सात साल की हमराह दो सहेलियों को दसवीं में अंक भी समान मिले है। ब्राइटलैंड्स स्कूल में 98.2 प्रतिशत अंक हासिल करने वालीं गौरी शर्मा और ऋषिता श्रीवास्तव बहुत अच्छी दोस्त हैं। वह बताती हैं कि पिछले साल उन्होंने कई काम साथ-साथ किए, पर यह कभी नहीं सोचा था कि बोर्ड परीक्षा में परिणाम भी एक जैसा आएगा। 

गौरी के पिता सचिन कुमार पॉलीटेक्निक में वर्कशॉप सुपरीटेंडेंट और मां दीपशिखा यूजीवीएनएल में एकाउंट अफसर हैं। गौरी क्लैट के जरिए विधि क्षेत्र में कॅरियर बनाना चाहती हैं। वहीं ऋषिता के पिता विकास श्रीवास्तव सिंचाई विभाग में अधिशासी अभियंता हैं। ऋषिता डॉक्टर बनाना चाहती हैं। दोनों ही सहेलियों को पढ़ना पसंद है। 

कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहते हैं अभिज्ञान

दसवीं के टॉपर अभिज्ञान कश्यप कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहते हैं। अभिज्ञान बताते हैं कि टॉपर बनने के लिए कई घंटे की पढ़ाई जरूरी नहीं है। बल्कि आप जितनी भी देर पढ़ें एकाग्र होकर और पूरी इच्छा के साथ पढ़ि‍ए। 

बेमन से कई घंटे किताबों में उलझे रहने से अच्छा है कि मन लगाकर कुछ ही देर पढ़ा जाए। अभिज्ञान के पिता संदीप कुमार ओएनजीसी में मुख्य भू-भौतिक विज्ञानी और मां गीतांजलि गृहिणी हैं। अभिज्ञान बताते हैं कि पढ़ाई के अलावा उन्हें खेलकूद में रुचि है। इसके अलावा गिटार बजाने व म्यूजिक सुनने का शौक है। वह कहते हैं कि यह सब उन्हें रिफ्रेश करते हैं।

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