इलाहाबाद में यूपी बोर्ड मुख्यालय के इर्दगिर्द ही बसा है नकल का साम्राज्य
नकल माफिया को बड़े अफसरों का कोई खौफ नहीं है जिसकी वजह से प्रभावी अंकुश नहीं लग पा रहा है।
इलाहाबाद (जागरण संवाददाता)। 'चिराग तले अंधेरा' वाली कहावत इन दिनों इलाहाबाद में सच साबित हो रही है। यूपी बोर्ड मुख्यालय वाले और आसपास के जिलों में जमकर नकल हो रही है। नकल माफिया को बड़े अफसरों का कोई खौफ नहीं है जिसकी वजह से प्रभावी अंकुश नहीं लग पा रहा है। शिक्षा विभाग के साथ ही प्रशासनिक अफसरों ने इस ओर से पूरी तरह से मुंह मोड़ लिया है।
यूपी बोर्ड परीक्षाओं की मॉनीटरिंग करने वाले जिले में ही नकल माफिया हावी है। यही वजह है कि अब तक नौ परीक्षा केंद्रों पर एक पाली का इम्तिहान निरस्त हो चुका है, दर्जनों स्कूलों को नोटिस जारी हुई है। शिक्षा विभाग के अफसरों ने यह सब कार्रवाई तब की है, जब नकल की आम जनता में चर्चा हो गई। चेहरा बचाने के लिए छिटपुट स्कूलों को निशाना बनाया गया है।
इलाहाबाद के बामपुर विद्यालय में जिस तरह से बाहरी लोग परीक्षार्थियों को नकल करा रहे थे उससे अलीगढ़ और बिहार बोर्ड की परीक्षाएं पीछे छूट गईं। नकल का आलम यह है कि सामान्य प्रश्नपत्रों मसलन हिंदी, गृह विज्ञान जैसे विषयों में भी बड़ी संख्या परीक्षार्थी अनुचित साधनों का प्रयोग करते पकड़े गए हैं, जबकि पकड़े गए अभ्यर्थियों की तादाद काफी कम है नकल का लाभ लेने वालों की संख्या बहुतायत में है। यह जिला शिक्षा निदेशक माध्यमिक अमरनाथ वर्मा का गृह क्षेत्र है, नकल पर अंकुश न लगने से उनकी साख गिर रही है।
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प्रतापगढ़ में प्रश्नपत्र आउट होना और बोलकर नकल कराया जाना आम बात हो गई है। उस जिले में कई ऐसे भी कालेज हैं, जहां शिक्षा विभाग के अफसर ही नहीं प्रशासनिक अधिकारी तक जाने में कतराते हैं इससे वहां परीक्षार्थी पूरी मौज में है। परीक्षा केंद्रों के आसपास सुबह से शाम तक इतनी भीड़ लग रही है कि मानों वहां कोई मेला लगा है। यही हाल कौशांबी जिले का भी है। पहले मनचाहे स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनवाया गया और अब मन मुताबिक अपनों की नैया पार लगाने को सब जुटे हैं।
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