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MCD Election: क्‍या इस बार भाजपा की लगेगी हैट्रिक या खत्‍म होगा कांग्रेस का वनवास

लगातार दस वर्षों से है निगम में भाजपा की हुकूमत। कांग्रेस और आप से मिल रही है कड़ी टक्कर।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Sun, 23 Apr 2017 09:04 AM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2017 09:53 PM (IST)
MCD Election: क्‍या इस बार भाजपा की लगेगी हैट्रिक या खत्‍म होगा कांग्रेस का वनवास
MCD Election: क्‍या इस बार भाजपा की लगेगी हैट्रिक या खत्‍म होगा कांग्रेस का वनवास

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। आज मतदाता दिल्ली के सियासी दलों का भविष्य तय करेंगे। यह चुनाव बदली हुई सियासी परिस्थितियों में हो रहा है। अब तक नगर निगम की बादशाहत हासिल करने के लिए भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (आप) भी मैदान में है। इससे निगम का मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

अब मतदाताओं के हाथ में है कि वे भाजपा को हैट्रिक लगाने का मौका देंगे या कांग्रेस का दस वर्षों का वनवास खत्म करेंगे। या फिर विधानसभा चुनाव की तरह से आप के प्रति अपना विश्वास जताएंगे।

10 वर्षों से निगम में है भाजपा का शासन

पिछले दस वर्षों से दिल्ली नगर निगम में भाजपा का शासन है। वर्ष 2007 में हुए एकीकृत नगर निगम चुनाव में पार्टी ने 42.78 फीसद वोट हासिल कर 272 में से 164 सीटें जीती थीं। वहीं, नगर निगमों के तीन भागों में बंटने के बाद वर्ष 2012 में हुए निगम चुनाव में भाजपा का वोट फीसद गिरकर 35.02 फीसद पहुंच गया। इससे भाजपा की सीटें कम होकर 138 रह गई थीं, इसलिए इस बार पार्टी का ध्यान अपने मत फीसद को बढ़ाकर निगम की सत्ता एक बार फिर से हासिल करने पर है।

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इसके लिए पार्टी ने आक्रामक प्रचार अभियान चलाने के साथ ही मोदी लहर को भुनाने की कोशिश की है। बूथ प्रबंधन को मजबूत कने के लिए प्रत्येक बूथ पर पांच-पांच कार्यकर्ताओं की विशेष टीम बनाई गई है, जिसे पंच परमेश्वर का नाम दिया गया है।

राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव से बढ़ा है मनोबल

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा में मिली प्रचंड जीत और राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में मिली बड़ी जीत ने भी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी राजौरी गार्डन के चुनाव परिणाम को दिल्ली का मूड बताते हैं। वहीं, मौजूदा पार्षदों की जगह नए चेहरे उतारकर पार्टी ने सत्ता विरोधी लहर से पार पाने की भी कोशिश की है। इससे कई वार्डों में उसे बगावत जरूर झेलनी पड़ रही है।

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योगी का असर दिल्‍ली में भी दिखने की उम्‍मीद

इसके साथ ही दिल्ली के भाजपा नेताओं को पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भ्रष्टाचार, अपराध व निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए उठाए गए कदमों का लाभ भी दिल्ली में मिलने की उम्मीद है। उनका कहना है कि योगी सरकार के फैसले का असर दिल्ली के मतदाताओं पर भी पड़ रहा है।

कांग्रेस भी निगम में वापसी को बेताब

दूसरी ओर कांग्रेस निगम में वापसी करने को बेताब है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने सूचना के अधिकार के तहत शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट हासिल कर आप सरकार को कठघरे में खड़ा करने की पूरी कोशिश की। वहीं, भाजपा शासित नगर निगमों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के साथ ही दिल्ली की दशा बदलने के लिए कांग्रेस ने रोडमैप भी पेश किया है।

आप की नजर भी निगम पर

दिल्ली की सत्ता पर काबिज आप की नजर नगर निगमों पर है। निगमों की सत्ता हासिल करने की जुगत में लगी आप ने अन्य पार्टियों से पहले उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी। पार्टी ने दिल्ली की बदहाली के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। आप नेताओं ने प्रचार के दौरान कांग्रेस पर भी तीखे हमले किए। निगम में आने पर पार्टी ने हाउस टैक्स माफ करने का वादा किया है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार की उपलब्धियां गिनाकर मतदाताओं को अपने साथ जोडऩे की कोशिश की है।

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भाजपा की हैट्रिक की तैयारी में, तो कांग्रेस का दस वर्षों का वनवास


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