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पड़ोसियों का दबाव बना वरदान और ये 'टॉपर' बन गया भारतीय क्रिकेटर

टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए तैयार है। विश्व कप करीब है, ऐसे में सभी फैंस ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम के अच्छे प्रदर्शन की आस लगाए बैठे हैं। टेस्ट सीरीज के लिए घोषित हुई टीम में एक चेहरा ऐसा भी था जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते थे

By ShivamEdited By: Published: Fri, 21 Nov 2014 10:07 AM (IST)Updated: Fri, 21 Nov 2014 10:47 AM (IST)
पड़ोसियों का दबाव बना वरदान और ये 'टॉपर' बन गया भारतीय क्रिकेटर

नई दिल्ली। टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए तैयार है। विश्व कप करीब है, ऐसे में सभी फैंस ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम के अच्छे प्रदर्शन की आस लगाए बैठे हैं। टेस्ट सीरीज के लिए घोषित हुई टीम में एक चेहरा ऐसा भी था जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते थे लेकिन हकीकत ये है कि अगर मौका मिला तो ये खिलाड़ी कंगारू गेंदबाजों की क्लास लगाने का दम रखता है। ये हैं 22 वर्षीय मैंगलोर (कर्नाटक) के लोकेश राहुल। जितना दिलचस्प इस खिलाड़ी का खेल है, उतनी ही दिलचस्प उनकी अब तक की कहानी भी है। ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले दिए अपने कई इंटरव्यू में राहुल व उनके करीबियों ने उनके जीवन के दिलचस्प खुलासे किए हैं।

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- 'राहुल' नहीं, 'रोहन' होता नामः

एक इंटरव्यू में लोकेश राहुल के प्रोफेसर पिता ने एक दिलचस्प कहानी बयां की है। वो सुनील गावस्कर के बहुत बड़े फैन थे। जब राहुल का जन्म हुआ तो उन्होंने तय किया कि उसका नाम वही रखेंगे जो सुनील गावस्कर ने अपने बेटे का रखा था.....लेकिन वो चूक गए, क्योंकि उनको लगा कि गावस्कर के बेटे का नाम रोहन गावस्कर नहीं बल्कि राहुल गावस्कर है। कई दिनों के बाद उन्हें इस चूक का अहसास हुआ।

- पड़ोसी न होते तो शायद इंजीनियर होता ये खिलाड़ीः

मैंगलोर के एक प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान में इजीनियरिंग विभाव के प्रमुख राहुल के पिता चाहते थे कि उनका बेटा भी इंजीनियर बने। राहुल पढ़ाई में बहुत अच्छे थे और टॉपर भी थे। दसवीं में उनके 90 प्रतिशत अंक आए थे। राहुल इंजीनियरिंग कॉलेज के कैंपस में क्रिकेट खेलते रहते थे और उन्होंने कई पड़ोसियों के घरों के शीशे भी तोड़े। तभी पड़ोसियों ने बवाल काटा और इसकी शिकायत उनके पिता से की। सभी ने राय दी कि राहुल को किसी क्रिकेट अकादमी में दाखिला दिला दिया जाए तो बेहतर होगा। बस, वो ही पल था जब राहुल के पिता उनको कोचिंग अकादमी में दाखिला दिलाने ले गए और कोच जयराज के संपर्क में आने के बाद देखते-देखते उनका खेल एक आम खिलाड़ी से एक खास खिलाड़ी में बदल गया। अगर पड़ोसी उनके पिता पर दबाव न बनाते तो शायद राहुल शौक के लिए ही क्रिकेट खेलते रह जाते और अभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे होते।

- जमकर किया है राहुल ने संघर्षः

आज वो भारतीय टीम में जगह बनाने में सफल रहे हैं लेकिन ये मौका इतना आसानी से नहीं मिला है। खेल के प्रति राहुल की लगन की वजह से ही उन्होंने बी कॉम करने के फैसला किया ताकि वो अपने खेल पर ज्यादा ध्यान दे सकें। वो अपने स्कूल से क्रिकेट अकादमी तक रोज बस से 20 किलोमीटर का सफर तय करके जाते थे। बाद में ये सफर और लंबा हो गया जब उन्होंने क्रिकेट की बेहतर ट्रेनिंग के लिए मैंगलोर से राज्य की राजधानी बैंगलोर तक का सफर तय करना शुरू कर दिया।

- राहुल द्रविड़ ने देखते ही पहचान लिया थाः

एक खबर के मुताबिक महान भारतीय खिलाड़ी राहुल द्रविड़ ने बहुत पहले ही राहुल को परख लिया था। अंडर-13 के एक टूर्नामेंट के दौरान जब लोकेश राहुल ने दोहरा शतक जड़ा तब द्रविड़ भी वहां मौजूद थे। द्रविड़ ने उस पारी के बाद उनके कोच को बुलाकर सिर्फ एक लाइन कही थी, 'इस खिलाड़ी का ख्याल रखना'। लोकेश अपना आदर्श भी द्रविड़ को ही मानते आए हैं और शायद द्रविड़ उसी समय समझ चुके थे कि ये खिलाड़ी एक दिन बड़ा नाम करेगा।

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