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दुनिया का हर तीसरा डीवीडी मेड इन चाइना, पटाखों सें ज्यादा चीन से इतना कुछ मंगाता है भारत, जानिए

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक और व्हाट्सअप पर बीते दिनों चाइनीज सामान के बहिष्कार का आह्वान किया गया। चाइनीज सामान के बहिष्कार के पीछे मंशा चीनी अर्थव्यवस्था को झटका देने की थी।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 26 Oct 2016 07:09 PM (IST)Updated: Thu, 27 Oct 2016 11:44 AM (IST)
दुनिया का हर तीसरा डीवीडी मेड इन चाइना, पटाखों सें ज्यादा चीन से इतना कुछ मंगाता है भारत, जानिए

नई दिल्ली: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक और व्हाट्सअप पर बीते दिनों चाइनीज सामान के बहिष्कार का आह्वान किया गया। चाइनीज सामान के बहिष्कार के पीछे मंशा चीनी अर्थव्यवस्था को झटका देने की थी। लेकिन इस बड़े शोर के बीच आपके लिए यह जान लेना जरूर है कि चीन की भारत में पैठ पटाखों से कहीं ज्यादा गहरी और व्यापक है।

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पटाखों से ज्यादा चीन से इन चीजों का आयात करता है भारत:

चीन के पटाखों को लेकर भारत में बीते दिनों जिस स्तर पर विरोध हुआ और अब भी जारी है, उससे पहले यह जान लेना जरूरी है कि चीन से भारत के भीतर आने वाले पटाखों का कारोबार हद से हद तक 10 लाख डॉलर का ही है। भारत का चीन के साथ पटाखों से बड़ा कारोबार अन्य चीजों का है। विदेश व्यापार के आंकड़ों के मुताबिक, चीन से भारत का सबसे बड़ा आयात इलेक्ट्रॉनिक्स (20 अरब डॉलर), न्यूक्लियर रिएक्टर और मशीनरी (10.5 अरब डॉलर), केमिकल्स (6 अरब डॉलर), फर्टिलाइजर्स (3.2 अरब डॉलर), स्टील (2.3 अरब डॉलर) का है। वित्त वर्ष 2015-16 में भारत ने चीन से 61 अरब डॉलर का आयात किया जिसमें शीर्ष दस आयात का हिस्सा 48 अरब डॉलर था।

जानकारी के मुताबिक भारत अमेरिका, यूएई और सऊदी अरब से भी बड़ी मात्रा में सामान आयात करता है लेकिन चीन से होने वाला आयात इन तीनों देशों से काफी ज्यादा है। आंकड़ों से समझिए कि दुनिया को 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के चीनी निर्यात में भारत का हिस्सा तीन फीसदी से भी कम है।

चीन को क्यों कहते हैं दुनिया की फैक्ट्री:

चीन में उत्पादन इतने बड़े स्तर पर होता है कि उसे दुनिया की फैक्ट्री कहा जाता है। इस बात का अंदाजा आप नीचे दिए गए आंकड़ों से लगा सकते हैं। चाइनीज सामान के विरोध से पहले आपके लिए यह जान लेना जरूरी है कि चीन क्या कुछ नहीं बनाता है। चीन दुनिया के आधे से अधिक पर्सनल कंप्यूटर, दो तिहाई डीवीडी, अवन, खिलौने बनाता है। ऐसे में मेड इन चाइना का ठप्पा भारत जैसे बाजार के लिए किसी कड़वी हकीकत से कम नहीं है। चीनी जलवे को ग्लोबल अर्थव्यवस्था के ऐसे बदलावों ने गढ़ा है जिन्हें रोक पाना शायद किसी के बस में नहीं था।

मजेदार फैक्ट्स:

• भारत का बाजार इस हकीकत को अच्छे से जानता है कि चीन अपने उत्पाद की कीमतें 40 फीसदा तक कम कर सकता है।
• साल 2011 का आंकड़ा बताता है कि भारत के टेलीकॉम आयात में चीन का हिस्सा 62 फीसदी है।
• चीन दुनिया का सबसे बड़ा बल्क ड्रग (दवा) निर्माता भी है।
• बिजली संयंत्र और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान के लिए भारत के अधिकांश सामान की जरूरत चीन से पूरी होती है।


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