छोटे शहरों में बसें चलाने में मदद करेगा विश्व बैंक
राजधानी दिल्ली की तरह छोटे शहरों में भी पर्यावरण के अनुकूल बसें चलेंगी। विश्व बैंक ने इस संबंध में एक योजना तैयार की है जिसके तहत ये बसें चलायी जाएंगी। इसकी शुरुआत जयपुर, चंडीगढ़, भोपाल और मुंबई के निकट मीरा भयंदर नगर निगम से की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, विश्व बैंक इस संबंध में वित्त मंत्रालय अ
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की तरह छोटे शहरों में भी पर्यावरण के अनुकूल बसें चलेंगी। विश्व बैंक ने इस संबंध में एक योजना तैयार की है जिसके तहत ये बसें चलायी जाएंगी। इसकी शुरुआत जयपुर, चंडीगढ़, भोपाल और मुंबई के निकट मीरा भयंदर नगर निगम से की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, विश्व बैंक इस संबंध में वित्त मंत्रालय और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श के जरिये एक योजना को अंतिम रूप देने जा रहा है। इस योजना के अमल पर चार शहरों में लगभग 800 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सूत्रों ने कहा कि इन शहरों में ये योजना कारगर रहने के बाद दूसरे शहरों में इसका विस्तार किया जाएगा।
योजना के तहत बसों को कंप्यूटर आधारित सूचना प्रौद्योगिकी से भी लैस किया जाएगा। इससे स्थानीय यात्रियों को बस के रूट और लोकेशन की ताजा जानकारी मिलती रहेगी। सूत्रों ने कहा कि पर्यावरण के अनुकूल बसें चलाने का मकसद शहरों में कारों के इस्तेमाल को सीमित कर सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देकर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना है। देश में दस लाख से अधिक की आबादी वाले 53 शहरों में से फिलहाल लगभग एक-तिहाई शहरों में ही पर्यावरण के अनुकूल ईंधन जैसे सीएनजी से सार्वजनिक बसें चलती हैं।
सरकार 2025 तक 200 शहरों में सीएनजी से सार्वजनिक बसें चलाना चाहती है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पर्यावरण अनुकूल बसें चलाना जरूरी है। परिवहन क्षेत्र से अच्छी खासी तादाद में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। सरकार ने 2009 में अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने के लिए जेएनएनयूआरएम के तहत राज्यों को बसों के लिए धनराशि दी थी जिसके तहत कई राज्यों ने करीब चार हजार करोड़ रुपये की बसें खरीदी थीं।
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