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ईएसआई इंश्योरेंस लेना अब जरूरी नहीं, प्राइवेट कर्मचारियों को मिलेंगे दूसरे विकल्प

फॉर्मल सेक्टर से जुड़े कर्मचारियों के लिए अब एम्पलॉईज स्टेट इन्श्योरेंस कॉर्प (ईएसआईसी) की स्कीम लेना बाध्यकारी नहीं होगा, क्योंकि जल्द ही उनके सामने बाजार में उपलब्ध दूसरे हेल्थ इन्श्योरेंस प्रोडक्ट खरीदने का विकल्प होगा।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 16 Oct 2016 03:25 PM (IST)Updated: Sun, 16 Oct 2016 03:46 PM (IST)
ईएसआई इंश्योरेंस लेना अब जरूरी नहीं, प्राइवेट कर्मचारियों को मिलेंगे दूसरे विकल्प

नई दिल्ली: फॉर्मल सेक्टर से जुड़े कर्मचारियों के लिए अब एम्पलॉईज स्टेट इन्श्योरेंस कॉर्प (ईएसआईसी) की स्कीम लेना बाध्यकारी नहीं होगा, क्योंकि जल्द ही उनके सामने बाजार में उपलब्ध दूसरे हेल्थ इन्श्योरेंस प्रोडक्ट खरीदने का विकल्प होगा। मौजूदा समय में 21 हजार रुपए तक की मासिक सैलरी वाले कर्मचारियों के लिए ईएसआईसी द्वारा चलाई जाने वाली हेल्थ इन्श्योरेंस स्कीम लेना अनिवार्य है।

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सूत्रों के मुताबिक श्रम मंत्रालय जल्द ही ईएसआईसी एक्ट, 1948 में संशोधन के लिए एक बिल कैबिनेट के पास भेजे देगा ताकि ईएसआईसी के लाभार्थियों के लिए बाजार में उपलब्ध दूसरे हेल्थ इन्श्योरेंस प्रोडक्ट चुनने का रास्ता साफ हो जाए। जानकारी के मुताबिक मंत्रालय आगामी 16 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इस बिल को पेश कर सकता है ताकि इसे जल्द से जल्द पास कराया जा सके।

आपको बता दें कि श्रम मंत्रालय की यह पहल वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट भाषण की उस घोषणा के संदर्भ में सामने आई है जिसमें उन्होंने फॉर्मल सेक्टर के ईएसआई स्कीम के दायरे में आने वाले सभी कर्मचारियों को इन्श्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (इरडा) द्वारा मान्यता प्राप्त अन्य स्कीम उपलब्ध करवाने की बात कही थी। ईएसआई अधिनियम-1948 में संशोधन को लेकर अंतर-मंत्रालयी परामर्श की प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है।

ट्रेड यूनियन कर रही है विरोध:

एक तरह से देखा जाए तो बिल में यह संशोधन कर्मचारियों के लिए फायदे की बात है लेकिन ट्रेड यूनियंस इस संशोधन का विरोध कर रही हैं। यूनियन ने श्रम मंत्रालय से कहा है कि पहले बाजार में हेल्थ इन्श्योरेंस प्रोडक्ट की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए ताकि ईएसआई स्कीम के अंतर्गत मिलने वाले लाभ लाभार्थियों को दिए जा सकें।


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