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निर्धारित समय से पहले देशवासियों को देंगे पर्याप्‍त बिजली: गोयल

देश में बिजली क्षेत्र में हुए सकारात्‍मक बदलाव के बारे में बिजली और ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन के साथ खास बातचीत में विस्तार से बताया।

By Monika minalEdited By: Published: Sun, 15 May 2016 09:39 AM (IST)Updated: Sun, 15 May 2016 09:53 AM (IST)
निर्धारित समय से पहले देशवासियों को देंगे पर्याप्‍त बिजली: गोयल

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अप्रैल-मई साल के ऐसे दो महीने होते हैं, जब भारत में बिजली की सबसे ज्यादा मांग होती है। पावर एक्सचेंज में बिजली की दरें आसमान छू रही होती हैं। बिजली कटौती आम बात होती है। लेकिन इस साल माहौल बदला हुआ है। गर्मी के मौसम में भी बिजली की आपूर्ति मांग से ज्यादा है। बिजली की दर पावर एक्सचेंज में दो रुपये प्रति यूनिट के आसपास है। पिछले एक दशक में कभी ऐसा नहीं हुआ। इन बदलावों और आगे की रणनीति के बारे में बिजली, कोयला और नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन के साथ खास बातचीत में विस्तार से बताया।

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- सबसे पहले तो ‘उदय योजना’ की प्रगति के बारे में बताएं?

उदय की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह कोई केंद्र की योजना नहीं है। इसे राज्यों को लागू करना है। हां, हम उन्हें लागू करने में हर संभव मदद कर रहे हैं। यह राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों पर बकाये लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये के बोझ को कम करने और देश में बिजली वितरण की स्थिति को मजबूत करने के लिए बनाई गई योजना है। इसकी जरूरत इसलिए पड़ी कि जब तक बिजली वितरण कंपनियों के स्तर पर सुधार नहीं करेंगे तब तक आप आम जनता को मिलने वाली बिजली की स्थिति में सुधार नहीं कर पाएंगे। अभी तक 10 राज्यों ने उदय को स्वीकार किया है। मोटे तौर पर देश की बिजली वितरण कंपनियों को सालाना 65 हजार करोड़ रुपये का घाटा होता है। इसका 50 फीसद इन 10 राज्यों में होता रहा है। हम हर महीने राज्यों के आला अधिकारियों के साथ उदय की प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं। कुछ ही दिनों में उदय योजना के तहत जो कदम उठाए जा रहे हैं उससे जुड़े आंकड़े व प्रगति की रिपोर्ट ‘रियल टाइम’ यानि तत्काल मिलने लगेगी। हमें भरोसा है कि यह योजना देश में बिजली की चोरी रोकने, निर्बाध बिजली की आपूर्ति बहाल करने और बिजली की मौजूदा लागत कम करने में सहयोग करेगी।

देश में बिजली की एक दर संभवः पीयूष गोयल

- आपने बिजली दर की बात की है। इस बारे में कई कदम भी उठाए गए हैं। जनता को इन कदमों का फायदा कब मिलेगा?

हम सिर्फ 24 घंटे बिजली नहीं देना चाहते, बल्कि जनता को सस्ती दरों पर इसे उपलब्Žध कराने की मंशा रखते हैं। अभी तक का मेरा अनुभव बताता है कि यह संभव भी है। इसके लिए हमने राज्यों को यह छूट दी है कि वे आवंटित कोयला Žलॉकों का उपयोग जिस प्लांट में चाहें वहां कर सकते हैं। अब बिजली प्लांट नजदीकी स्रोत से कोयला हासिल करेंगे। वितरण कंपनियों पर जब कर्ज का बोझ कम होगा तो उनकी लागत भी कम होगी। इससे भी बिजली की कीमत पर असर पड़ेगा। देश में बंद पड़े 18 हजार गैस प्लांट को शुरू किया गया है। इससे भी बिजली की दर पर असर पड़ेगा। बिजली में भी मांग और आपूर्ति का सामान्य सिद्धांत काम करता है। जब मांग से ज्यादा बिजली उपलब्ध़ होगी तो इसकी कीमत पर भी असर पड़ेगा। आज पावर एक्सचेंज में दो रुपये की दर से बिजली उपलब्Žध है। बाजार में कोयले की पर्याप्त आपूर्ति होने से भी बिजली कीमत पर असर पड़ेगा। ऐसा पिछले एक दशक में नहीं हुआ है। इन कदमों का बिजली की दरों पर असर पडऩा शुरू हो गया है। देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी एनटीपीसी लागत में 40 से 50 पैसे प्रति यूनिट की कमी कर चुकी है।

- आपने पूरे देश में बिजली की समान दर करने की मंशा भी जताई थी। क्या यह संभव होगा? राज्यों ने विभिन्न बिजली कंपनियों के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट किया है, उनका क्या होगा?

मैंने पहले सिर्फ एक विचार दिया था। मेरा अनुभव बताता है जैसे-जैसे देश में बिजली की पर्याप्त आपूर्ति होने लगेगी यह संभव हो जाएगा। आज दक्षिण भारत को छोड़ दिया जाए तो देश के ज्यादातर हिस्सों के लिए पावर एक्सचेंज में 2.07 रुपये प्रति यूनिट की दर पर बिजली उपलŽब्ध है। सरकार देश में बिजली ट्रांसमिशन की व्यवस्था सुधारने की कोशिश में जुटी है। हमारा मानना है कि वर्ष 2018-19 तक देश की ट्रांसमिशन व्यवस्था एकदम सुदृढ़ हो जाएगी। तब पूरे देश में बिजली की एक दर संभव है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में राज्यों को बिजली कंपनियों के साथ बिजली खरीद समझौते (पीपीए) की जरूरत ही नहीं पड़े। बिजली क्षेत्र में एक युगांतकारी घटना होगी जब पूरे देश में एक राष्ट्र, एक ग्रिड व एक कीमत का फॉर्मूला लागू होगा।

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- तो क्या सभी घरों को पर्याप्त बिजली देने की योजना सही तरह से आगे बढ़ रही है?

बिल्कुल। मुझे दैनिक जागरण के पाठकों को बताते हुए खुशी होगी कि हम निर्धारित लक्ष्य से काफी पहले देशवासियों को पर्याप्त बिजली देने का वादा पूरा करेंगे। प्रधानमंत्री ने 2022 तक सभी घरों को 24 घंटे बिजली आपूर्ति का लक्ष्य रखा था, लेकिन जिस तरह से अभी तक की प्रगति हुई है उसे देखते हुए लगता है कि यह काम वर्ष 2019 तक पूरा हो जाएगा। इसी तरह से अभी तक जिन गांवों में बिजली नहीं पहुंची है उन्हें बिजली से जोडऩे का काम भी वर्ष 2018 के निर्धारित लक्ष्य से एक वर्ष पहले पूरा हो जाएगा। इसके बाद के एक वर्ष हम इन गावों के हर घर को देश के अन्य हिस्से से पहले बिजली दे देंगे।

- अब आगे के तीन वर्षों में आप क्या करने वाले हैं?

मुझे लगता है कि हमने पवन ऊर्जा और हाइड्रो ऊर्जा पर अभी तक खास ध्यान नहीं दिया है। हम इन्हें प्राथमिकता से लेंगे। एक लाख मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के कार्यक्रम में अब तेजी से प्रगति होगी तो हमें यहां भी काफी सतर्क रहना होगा। सौर ऊर्जा को लेकर राज्यों के साथ बेहतर सामंजस्य स्थापित करने पर भी हमारा जोर रहेगा। उदय की मॉनीटरिंग को और मजबूत करेंगे क्योंकि यह देश में बिजली सफलता का मूल मंत्र है। इसके अलावा बिजली क्षेत्र में तकनीकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर भी हमारा खासा जोर होगा। स्मार्ट मीटर व स्मार्ट ग्रिड को लेकर भारत को अभी काफी आगे जाना है। साथ ही हमें देश में बिजली की खपत बढ़ाने पर अब ध्यान देना है। देश में बिजली की आपूर्ति अब कोई समस्या नहीं है। वितरण व ट्रांसमिशन की दिक्कतें भी दो-तीन वर्षों में दूर हो जाएंगी।

बिजली ग्राहकों के लिए होगा हेल्पलाइन नंबर

सरकार बिजली ग्राहकों के लिए भी एक राष्ट्रीय हेल्प लाइन नंबर खोलने पर विचार कर रही है। इन हेल्प लाइन का नंबर 1291 होगा जिस पर कोई भी ग्राहक बिजली की दिक्कतों के बारे में शिकायत दर्ज करवा सकेगा या कोई जानकारी हासिल कर सकेगा। हर राज्य में इसका अलग-अलग सेंटर होगा और उस राज्य के ग्राहकों की दिक्कतों को दर्ज किया जाएगा। शुरुआत में यहां बिजली के ट्रांसफार्मर जलने, बिजली के तार टूटने या इस तरह की अन्य समस्याओं की शिकायत दर्ज करा सकेंगे। बिजली मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि सरकार की योजना यह है कि आगे चलकर यह हेल्पलाइन ग्राहकों के लिए हर तरह की बिजली संबंधी समस्याओं का समाधान निकालने का रास्ता बने। हेल्प लाइन नंबर को राज्य सरकारें या बिजली वितरण कंपनियों की मदद से चलाने की योजना है लेकिन केंद्र सरकार इसकी लगातार मॉनीटरिंग करेगी।


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