खजाना प्रबंधन की चुनौतियां बरकरार
सब्सिडी का बोझ कम होने और कर राजस्व में उछाल के बावजूद खजाना प्रबंधन के मोर्चे पर सरकार के सामने चुनौतियां कम नहीं हुई हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सब्सिडी का बोझ कम होने और कर राजस्व में उछाल के बावजूद खजाना प्रबंधन के मोर्चे पर सरकार के सामने चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। केंद्र ने चालू वित्त वर्ष के आम बजट में राजकोषीय घाटे का जो अनुमान लगाया था, उसके मुकाबले पहले चार महीने में ही यह 69.3 प्रतिशत तक पहुंच गया है। यह आलम तो तब है जब इस अवधि में अप्रत्यक्ष कर संग्रह में रिकॉर्ड 37 प्रतिशत वृद्धि हुई है। राजकोषीय घाटे का आशय व्यय और राजस्व प्राप्ति के अंतर से होता है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में राजकोषीय घाटा 5.55 लाख करोड़ रुपये रहने का लक्ष्य रखा था, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.9 प्रतिशत है। अप्रैल से जुलाई तक राजकोषीय घाटे का आंकड़ा 3.85 लाख करोड़ रुपये को छू चुका है, जो बजट अनुमान का 69.3 प्रतिशत है। जबकि पिछले साल अप्रैल से जुलाई की अवधि में यह घाटा बजट अनुमान का 61.2 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2014-15 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.01 लाख करोड़ रुपये था, जो जीडीपी के चार प्रतिशत के बराबर था।
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अप्रैल से जुलाई की अवधि में शुद्ध कर राजस्व 16.7 प्रतिशत बढ़कर 1.53 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि गैर कर-राजस्व में भी 24.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही सरकार को शुद्ध अप्रत्यक्ष करों के रूप में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 60 हजार करोड़ रुपये अधिक मिले हैं। इस अवधि में सब्सिडी बोझ में भी पिछले साल की अपेक्षा 18 प्रतिशत की कमी आई है।
लेखा महानियंत्रक के मुताबिक अप्रैल से जुलाई की अवधि में सरकार का कुल व्यय 6 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पूरे वित्त वर्ष के लिए तय लक्ष्य का 33.8 प्रतिशत है। इस अवधि में योजनागत व्यय 1.57 लाख करोड़ और गैर योजनागत व्यय 4.43 लाख करोड़ रुपये था। योजनागत व्यय में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 33.9 प्रतिशत वृद्धि हुई है। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में राजस्व घाटा 3.05 लाख करोड़ रुपये रहा, जो बजट अनुमान का 77.6 प्रतिशत है।
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